राहुल गांधी का 2019 वाला बयान, शशि थरूर की निराशा और कांग्रेस को परेशान करने वाली रिपोर्ट
कांग्रेस पार्टी से एक के बाद एक नेताओं का जाना कांग्रेस के लिए सिरदर्द बना हुआ है. हाल ही में वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी के बाद आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम किरण रेड्डी भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में शामिल होने के बाद किरण रेड्डी ने कांग्रेस हाईकमान के फैसलों पर सवाल उठाया.
इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कांग्रेस नेताओं के पलायन को लेकर चिंता जताई गई है. दूसरी तरफ शशि थरूर ने भी लगातार पार्टी छोड़ कर जा रहे नेताओं को लेकर एक बयान दिया है. शशि थरूर ने अपने बयान में अनिल एंटनी, सी आर केशवन और किरण कुमार रेड्डी जैसे नेताओं के पार्टी छोड़ने को लेकर असंतोष जताया है. थरूर ने मल्लिकार्जुन खड़गे को भी इस सब का जिम्मेदार ठहराया.
वहीं राहुल गांधी का नेताओं के दलबदल को लेकर दिया गया बयान एक बार फिर से ताजा हो गया है. राहुल का ये बयान और हाल ही में जारी हुई कांग्रेस की दल बदलने वाले नेताओं को लेकर बनी रिपोर्ट एक दूसरे से बिल्कुल मेल नही खाती है. राहुल ने ये बयान साल 2019 में दिया था.
जो लोग पार्टी छोड़ना चाहते हैं उन्हें चले जाना चाहिए- राहुल गांधी
2019 के बाद पार्टी से पलायन के मद्देनजर राहुल गांधी ने बयान दिया था कि जो लोग पार्टी छोड़ना चाहते हैं, उन्हें चले जाना चाहिए. बयान में राहुल ने आगे कहा था- जो नेता पार्टी छोड़ कर जाना चाहते हैं उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, लेकिन कांग्रेस के एक आंतरिक दस्तावेज में यह आरोप लगाया गया है कि जमीनी स्तर पर दलबदल पार्टी को कमजोर करता है और इसे रोका जाना चाहिए.
हाल ही में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ने के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया था. पिछले 9 सालों के पन्ने पलटने पर ऐसे कुल 23 बड़े नेताओं का नाम सामने आया जिन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया, और इन सभी नेताओं की शिकायत राहुल गांधी से ही थी.
साल 2022 में अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस के प्रदर्शन पर पार्टी नेताओं से बात की थी, जिसमें नेताओं ने पार्टी के आंतरिक कलह और नेतृत्व की कमी पर सवाल उठाए थे.
कांग्रेस की हार पर पाटी र्के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि मैं हैरान हूं, पार्टी की हार देख कर मेरा दिल रो रहा है. हमने पार्टी को अपनी पूरी जिंदगी और जवानी दी है. मुझे भरोसा है कि पार्टी का नेतृत्व सभी कमजोरियों और कमियों पर ध्यान देगा जो मैं और मेरे साथी पिछले कुछ समय से उठा रहे हैं
क्या कहती है कांग्रेस की ताजा रिपोर्ट
2024 के चुनावों के लिए 56 एससी/एसटी संसदीय क्षेत्रों में संगठनात्मक उपस्थिति बढ़ाने के लिए कांग्रेस की नई योजना ‘नेतृत्व विकास मिशन’ पर जारी एआईसीसी की दस्तावेज में कहा कि कांग्रेस जिला और ब्लॉक स्तर पर अपने महत्वपूर्ण नेताओं के प्रतिद्वंद्वी दलों पर नजर रखना चाहेगी.
दस्तावेज में कहा गया है कि कांग्रेस अलग-अलग कारणों से दलबदल की बुराई से ग्रस्त है. इस रिपोर्ट में ये कहा गया है कि ऐसा जरूरी नहीं कि दल बदलने वाले नेता सांसद या विधायक ही हों. पंचायत स्तर के नेता पर भी नजर रखना जरूरी है.
कांग्रेस ने इस बात पर चिंता जताई कि पलायन करने वाले नेता पलायन के साथ अपने मतदाता आधार को दूसरी पार्टियों में ले जाते हैं. इससे सीधे तौर पर कांग्रेस की ताकत को नुकसान पहुंचता है और चुनावी हार होती है.
पार्टी की तरफ से पेश की गई ‘लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन (एलडीएम) या नेतृत्व विकास मिशन का मकसद अपने सभी स्थानीय नेतृत्व पर नजर बनाए रखना है. पार्टी इस की मदद से निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी साझेदारी को और भरोसेमंद बनाने की कवायद में जुट गयी है.
पार्टी का ये मानना है कि अगर स्थानीय नेतृत्व और आम लोगों के बीच विश्वास पैदा कर दिया जाए तो कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. वास्तव में पार्टी ये चाहती है कि संगठन और निर्वाचन क्षेत्रों के निचले पायदान पर सबसे ज्यादा ध्यान देकर नेताओं का पलायन रोका जा सकता है.
वहीं दूसरी तरफ सूत्रों का ये कहना है कि पार्टी का ये मिशन महज चर्चाओं तक ही सीमित रहा है. यही वजह रही कि हाल के वर्षों में रूक-रूक कर पार्टी से कई नेताओं ने पलायन किया. अब चुनावों के नजदीक आने पर नेताओं के पलायन की प्रावृति कांग्रेस को परेशान कर रही है.
पलायन करने वाले नेता पार्टी को खोखला कर रहे हैं?
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा था कि जो लोग पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं वो भाजपा-आरएसएस के साथ वैचारिक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे नेताओं को पार्टी में कोई रोकेगा नहीं.
राहुल ने अपने बयान में ये कहा कि इन सभी नेताओं को पार्टी छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. राहुल ने अपने बयान में ये भी कहा था कि केन्द्र की विचारधारा से लड़ने के लिए बाहर से लोगों को लाया जाना चाहिए. नेताओं का पलायन कांग्रेस की जमीन को धीरे-धीरे खोखला कर रही है. साथ ही पार्टी की जीत पर भी सेंध लगा रही है.
शशि थरूर ने भी जताई चिंता
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अनिल एंटनी, सी आर केशवन और किरण कुमार रेड्डी जैसे कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर असंतोष और निराशा जाहिर की है. थरूर ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि पार्टी के नेता अंधेरे की तरफ क्यों और कैसे जा सकते हैं.
थरूर ने कहा कि मेरा हमेशा से मानना रहा है कि राजनीति सिद्धांतों पर आधारित होती है. प्रत्येक व्यक्ति को अपना मन और अपनी पार्टी बदलने का अधिकार है, लेकिन कुछ सिद्धांत जरूर होने चाहिए. मुझे लोगों के उस विचारधारा में जाने से समस्या है जिस विचारधारा के खिलाफ वो शुरू से लड़ते आए हैं. नेता पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं और कांग्रेस टूट रही है. थरूर ने इस सब के पीछे मल्लिकार्जुन खड़गे को भी जिम्मेदार ठहराया.
जानिए कब कब टूटी कांग्रेस
आजादी से पहले ही कांग्रेस दो बार टूट चुकी थी. 1923 में सीआर दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी का गठन किया था.
1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सार्दुल सिंह और शील भद्र के साथ मिलकर अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक का निर्माण किया.
आजादी के बाद कांग्रेस से टूटकर लगभग 70 दल बन चुके हैं. इनमें से कई खत्म हो चुके हैं, जबकि कुछ आज भी अस्तित्व में हैं.
आजादी के बाद पहली कांग्रेस को 1951 में टूट का सामना करना पड़ा, जब जेबी कृपलानी ने अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई.
एनजी रंगा ने हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी बनाई. जिसके बाद सौराष्ट्र खेदुत संघ भी इसी साल बनी.
1956 में सी. राजगोपालाचारी ने अलग होकर इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई.
1959 में बिहार, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा में कांग्रेस टूट गई. यह सिलसिला लगातार जारी रहा.
1964 में केएम जॉर्ज ने केरल कांग्रेस बनाई.
1967 में चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय क्रांति दल बनाया. बाद में इन्होंने लोकदल के नाम से पार्टी बनाई.
1998 में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस का गठन हुआ. ममता बनर्जी के नेतृत्व में कांग्रेस के नेताओं ने यह पार्टी बनाई.
2012 को संयुक्त आंध्र प्रदेश में कांग्रेस में टूट हुई और जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआर कांग्रेस का गठन हुआ.
कांग्रेस से अलग होकर कांग्रेस में वापसी करने वाले नेता
कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले नेताओं की फेहरिश्त काफी लंबी है. इनमें से कुछ नेता ऐसे भी हैं जो देर सबेर कांग्रेस में ही लौट आए. प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, माधव राव सिंधिया, नारायणदत्त तिवारी, पी. चिदंबरम, तारिक अनवर ऐसे कुछ बड़े नाम हैं, जो कांग्रेस पार्टी छोड़कर तो गए लेकिन बाहर उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हो पाए और फिर कांग्रेस में ही लौट आए.