Waaree Energies: 5000 रुपये लोन लेकर शुरू किया कारोबार, आज 400 करोड़ का बना दिया, इस मंदिर से लिया कंपनी का नाम
एनर्जी सेक्टर (Energy Sector) की एक और कंपनी वारी एनर्जीस (Waaree Energies) की स्टॉक मार्केट पर सोमवार को एंट्री हो गई है. कंपनी के स्टॉक को शेयर मार्केट पर निवेशकों का खूब समर्थन मिल रहा है. इसके साथ ही सोलर सेल बनाने वाली वारी एनर्जीस के चेयरमैन एवं एमडी हितेश चिमनलाल दोशी (Hitesh Chimanlal Doshi) दुनिया के अमीरों की लिस्ट (World’s Richest People) में आ गए हैं. हितेश दोशी ने 1985 में मात्र 5000 रुपये का लोन लेकर अपने कारोबार की शुरुआत की थी. आज हितेश दोशी और उनकी फैमिली की नेट वर्थ करीब 5.2 अरब डॉलर (लगभग 400 करोड़ रुपये) हो गई है. हितेश दोशी ने कंपनी का नाम अपने गांव के मंदिर पर रखा था.
आईपीओ ने दोगुनी कर दी दोशी फैमिली की नेट वर्थ
हितेश चिमनलाल दोशी करीब 40 साल से वारी ग्रुप (Waaree Group) का नेतृत्व कर रहे हैं. इसे रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) सेक्टर की नामचीन कंपनियों में गिना जाता है. ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स (Bloomberg Billionaires Index) के अनुसार, वारी एनर्जीस इश्यू प्राइस 1503 रुपये था लेकिन इसकी लिस्टिंग 997 रुपये ऊपर जाकर 2500 रुपये पर हुई. इसके चलते दोशी फैमिली की नेट वर्थ करीब दोगुनी हो चुकी है. वारी एनर्जीस के दो भाई और भतीजे कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं. दोशी फैमिली वारी ग्रुप की इंजीनियरिंग कंपनी वारी रिन्यूएबल टेक्नोलॉजीस (Waaree Renewable Technologies) और वारी टेक्नोलॉजीस (Waaree Technologies) की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर है. इन दोनों कंपनियों की लिस्टिंग पहले ही हो चुकी है.
सबसे बड़ी सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरर है वारी एनर्जीस
वारी एनर्जीस भारत की सबसे बड़ी सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरर है. इसकी क्षमता 1200 मेगावाट है. इसका ज्यादातर रेवेन्यू अमेरिका में एक्सपोर्ट से आता है. चीन के सोलर सेल पर बढ़ाए गए टैरिफ से कंपनी को बहुत फायदा हुआ है. इस साल सोलर स्टॉक्स में काफी बढ़त भी दिखाई दे रही है. कंपनी के आईपीओ ने निवेशकों को अच्छा खासा रिटर्न देकर खुश कर दिया है. आईपीओ से आए 2,800 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कंपनी ओडिशा में 6 गीगावाट का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाने में करेगी.
गांव में मौजूद वारी मंदिर के नाम पर रखा कंपनी का नाम
हितेश चिमनलाल दोशी का जन्म महाराष्ट्र के गांव तुनकी में हुआ था. उन्होंने मुंबई में पढ़ाई के दौरान 1985 में हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स ट्रेडिंग का धंधा 5000 रुपये उधार लेकर शुरू किया. इस पैसे से वह कॉलेज की फीस और अपना खर्च निकाल लेते थे. पढ़ाई पूरी करने एक बाद उन्होंने बैंक से 1.5 लाख रुपये का लोन लिया और प्रेशर गेज, गैस स्टेशन और इंडस्ट्रियल वाल्व की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की. इसके बाद वह जर्मनी गए और वहां से सोलर सेल मैन्युफैक्चरिंग की तरफ मुड़ गए. उनके गांव में मौजूद वारी मंदिर (Wari Temple) के नाम पर उन्होंने अपनी कंपनी का नाम रखा. ऊपरवाले के आशीर्वाद से आज पूरी दुनिया उनकी तरक्की की गवाह बन गई है.