‘हम फिदायीन बनकर आए थे…’,अतीक और अशरफ के हत्यारों की इस बात का क्या मतलब है?
उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए अतीक और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात काल्विन अस्पताल के पास गोली मार कर हत्या कर दी गई. दोनों को मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था. उसी समय कुल 15 से 20 फायर हुए. मौके पर वारदात को अंजाम देने वाले तीन हत्यारों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मामले में अब तक कुल 17 पुलिस कर्मी निलंबित किए जा चुके हैं. तीनों हत्यारों से पूछताछ करने वाली क्राइम ब्रांच की टीम ने बांदा, हमीरपुर और कासगंज के पुलिस कप्तानों से आरोपियों के बैकग्राउंड और क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी मांगी है. अतीक और अशरफ की हत्या की एफआईआर प्रयागराज के शाहगंज थाने में दर्ज की गई है.
बता दें कि लवलेश, सन्नी और अरुण मौर्य नाम के तीन अपराधी मीडियाकर्मी बनकर आए थे. इन तीनों ने अतीक और अशरफ की उस वक्त हत्या कर दी जब वह मेडिकल जांच के लिए प्रयागराज स्थित मेडिकल कॉलेज ले जाए जा रहे थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तीनों अपराधियों ने करीब 15 से 20 राउंड फायरिंग की थी. पुलिस की पूछताछ में तीनों आरोपियों लवलेश तिवारी, सन्नी और अरुण मौर्य ने कहा कि हम मर भी जाते तो हमें कोई गम नहीं था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तीनों ने बताया कि अतीक और अशरफ हमारे बेगुनाह भाइयों की हत्या करते रहे हैं. हमने धर्म का काम किया है. हम मर भी जाते तो हमें कोई गम नहीं होता. हम फिदायीन बन कर आए थे. हमनें अन्याय को खत्म किया है. हमें कोई गिला- शिकवा नहीं. हमें फांसी दे दी जाये तो भी हंसते हंसते चढ़ जाएंगे. हमने अपना काम कर लिया है.
फिदायीन एक अरबी शब्द है. जिसका मतलब कुर्बान हो जाना होता है. आतंकवाद की दुनिया में इस शब्द का मतलब आत्मघाती हमलवार होता है. किसी भी देश के लिए फिदायीनी आतंक सबसे खतरनाक माना जाता है. फिदायीनी हमलावर अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी जान तक दे देते हैं.
आमतौर पर कोई भी फिदायीन इस्लामिक जिहादी ग्रुप होते हैं. कच्ची उम्र के लड़के जो शिक्षा और दूसरी बुनियादी सुविधाओं से वंचित होते हैं, फिदायीन ग्रुप ऐसे युवाओं को अपने साथ जोड़ते हैं. अमेरिका की संघीय एजेंसी के अफगानिस्तान, इराक, सऊदी अरब और मध्य पूर्व के जिहादी गुटों पर बनाई गई एक रिपोर्ट की मानें तो ये जिहादी गुट अपने कारनामों को अंजाम देने के लिए अब इंटरनेट का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.
अपनी तथाकथित वेबसाइटों के जरिए ये गुट युवाओं को आकर्षित करते हैं, साथ ही आत्मघाती हमलावरों को ‘हीरो’ के रूप में दिखाकर, उन्हें ‘शहीद’ का दर्जा देते हैं.
क्यों बनते हैं फिदायीन
फिदायीन बनाने वाले आतंकवादी बड़े शातिर दिमाग होते हैं. ये लोग किसी की कमजोरी का फायदा उठाने में माहिर होते हैं. फिदायीन आमतौर पर ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों को अपना आदर्श मानते हैं. इन फिदायिनों को तैयार करने के लिए तकनीक के साथ-साथ धर्म का भी जमकर इस्तेमाल किया जाता है.
युवाओं के दिमाग में यह भर दिया जाता है कि सिर्फ खून के बदले खून से ही सब कुछ सही हो सकता है. युवाओें के दिमाग में इतना जहर भर दिया जाता है कि कम से कम नींद, खाना-पानी के बावजूद फिदायीन लम्बे समय तक पुलिस और सेना से मुकाबला कर सकता है.
फिदायीन बताने वाले अपराधियों ने अशरफ और अतीक को कैसे मारा
बीती रात दोनों को मेडिकल के लिए अस्पताल लाया जा रहा था. इस दौरान अतीक और अशरफ मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. तभी इन शूटर्स ने फायरिंग शुरू कर दी. पहली गोली में ही अतीक नीचे गिर गया और उसने दम तोड़ दिया. इसके बाद एक के बाद लगातार फायरिंग की गई. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तीनों शूटर ये तय करके आए थे कि अतीक और अशरफ को ज़िंदा नहीं छोड़ना है. तीनों ने ही हत्या के बाद भागने की कोशिश भी नहीं की. दो शूटर्स ने पुलिस के सामने हाथ भी खड़े कर दिये, तीनों को मौके पर दबोच लिया गया.
अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों शूटर्स के नाम लवलेश तिवारी, अरुण मौर्या और सनी हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अतीक अशरफ की हत्या करने वाला लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है. अरुण मौर्य हमीरपुर में रहता है. तीसरा आरोपी सनी कासगंज जिले का है. इनमें से एक शूटर ने अतीक को बेहद करीब से गोली मारी जबकि बाकी दो शूटर ने अशरफ पर गोली चलाई.
जो अतीक से डरते थे वो अब हमसे डरेंगे- हत्या के बाद बोले हमलावर
बता दें कि अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों हमलावर शातिर अपराधी है. तीनों हत्या, लूट समेत संगीन अपराधों में जेल जा चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तीनों की दोस्ती जेल में ही हुई. तीनों अतीक और अशरफ की हत्या करके डॉन बनना चाहते थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तीनों ने पुलिस को बताया कि छोटे-छोटे अपराध करके उनका नाम नहीं हो रहा था. इसलिए वो कुछ बड़ा करने की प्लानिंग कर रहे थे. इसी बीच उन्हें ये पता चला कि अतीक और अशरफ को पुलिस कस्टडी में अस्पताल इलाज कराने लाया जा रहा है. तीनों अपराधियों ने दोनों भाइयों को मारने की साजिश रची.
पुलिस के सूत्रों की मानें तो तीनों का ये कहना है कि अतीक और अशरफ को मारने के बाद सूबे में हमारा नाम होगा. जो लोग अतीक से डरते थे अब हमसे डरेंगे.
यूपी में धारा 144 लागू, उमेश पाल के घर की कड़ी सुरक्षा
इस हत्याकांड के बाद पूरे प्रयागराज में सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिए गए हैं. पुलिस गश्त कर रही है. घटना के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. राज्य में धारा 144 लगा दी गई है. सभी शहरों में पुलिस के फ्लैग मार्च का आदेश दिया गया है. उमेश पाल के घर की भी सुरक्षा बढ़ाई गई है. अतीक अहमद -अशरफ हत्याकांड मामले में 17 पुलिस कर्मी निलंबित किए जा चुके हैं.
हत्याकांड में अब तक क्या-क्या हुआ
24 फरवरी 2023 को प्रयागराज के धूमनगंज में अतीक और अशरफ के इशारे पर एक शूटआउट हुआ था. इसमें उमेश पाल को गनर ने जान से मार दिया था. उमेश पाल राजू पाल मर्डर का इकलौता चशमदीद गवाह था. उमेश पाल की हत्या के सीसीटीवी फुटेज में असद को साफ देखा गया. उमेश पाल की हत्या के समय कैमरा में असद के अलावा उसके दो सुरक्षाकर्मी को भी देखा गया .
इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके भाई और पूर्व MLA अशरफ और हत्याकांड को अंजाम देने वाले बेटे असद समेत 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने माफिया अतीक अहमद उसके दो बेटों, पत्नी और भाई के अलावा 9-10 साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी.
इस हत्याकांड का मास्टर माइंड अतीक अहमद का बेटा असद ठहराया गया. हत्याकांड में आरोपियों की पहचान असद, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, अरमान, साबिर और शाहरुख उर्फ पिंटू के रूप में हुई. 6 मार्च को पुलिस ने उस्मान उर्फ विजय चौधरी को भी मुठभेड़ में ढेर कर दिया.
27 फरवरी को पुलिस ने अरबाज को धूमनगंज थाना इलाके में हुए मुठभेड़ में मार गिराया. पुलिस एनकाउंटर के समय अरबाज वही क्रेटा गाड़ी चला रहा था जिस पर सवार होकर उस्मान और बाकी हत्यारे उमेश पाल की हत्या के लिए आए थे.
1 मार्च 2023 को यूपी पुलिस ने बुलडोजर एक्शन शुरू किया. एक्शन में अतीक अहमद के करीबी जफर अहमद के घर बुलडोजर चला. रिपोर्ट्स के मुताबिक उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के 2 नाबालिग बेटों पर भी गोलियां चलाने का आरोप लगा. 2 मार्च को पुलिस ने अतीक के बेटों को बाल सुधार गृह में भेजा.
तीन मार्च को अतीक के फाइनेंसर माशुकद्दीन का घर पर बुलडोजर चलाया गया. राजू पाल हत्याकांड के आरोपी कवि अहमद का घर भी बुलडोजर से तोड़ दिया गया.
6 मार्च को उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए विजय उर्फ उस्मान को एनकाउंटर में ढेर कर दिया. उमेश पाल पर पहली गोली उस्मान ने ही चलाई थी.
17 मार्च को अतीक अहमद के भाई और पूर्व विधायक अशरफ के दो सहयोगियों फरहद उर्फ गुड्डू और यामीन की भी गिरफ्तारी हुई.
एमपी-एमएलए कोर्ट ने 26 मार्च को अतीक अहमद को यूपी ट्रांसफर करने का आदेश दिया. 28 मार्च को अतीक अहमद को गुजरात की सावरमती जेल से प्रयागराज की नैनी जेल पहुंचा दिया गया. 28 मार्च को एमपी-एमएलए कोर्ट कोर्ट ने अतीक को उम्रकैद की सजा सुनाई .
12 अप्रैल को उमेश पाल हत्या मामले में दूसरी बार अतीक अहमद को पेशी के लिए प्रयागराज लाया गया. पुलिस ने अतीक की 14 दिन की रिमांड मांगी थी.
13 अप्रैल को यूपी एसटीएफ ने अतीक अहमद के बेटे असद और सहयोगी गुलाम एनकाउंटर में ढेर कर दिया. 15 अप्रैल को शनिवार रात को करीब साढ़े 10 बजे के आसपास अतीक अहमद और उसके भाई गैंगस्टर अशरफ अहमद हत्या कर दी गई.