अखिलेश यादव के सबसे बड़े चुनावी दांव को फेल करने में जुटीं मायावती
Mayawati western UP: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ हाथ मिलाकर पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने का दांव चला है. मायावती पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर काम कर रही हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव जैसे-जैसे करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी पार्टियों के बीच शह-मात का खेल तेज हो गया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ हाथ मिलाकर पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने का दांव चला है. वहीं, अखिलेश के इस जातीय कॉम्बिनेशन पर बसपा सुप्रीमो मायावती की भी नजर है. मायावती पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर काम कर रही हैं.
बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को लखनऊ में पार्टी के ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), मुस्लिम और जाट समाज के मुख्य और मंडल सेक्टर स्तर के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई. मायावती ने अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित 86 विधानसभा सीटों में मुस्लिमों और जाट समुदाय को जोड़ने के लिए पार्टी पदाधिकारियों द्वारा चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा की.
मायावती ने दिया ये मंत्र
पश्चिमी यूपी की सुरक्षित सीटों पर बसपा जाट-मुस्लिम-दलित कॉम्बिनेशन बनाकर मायावती 2022 की चुनावी बाजी अपने नाम करना चाहती हैं. इसी के मद्देनजर मायावती ने जाट और मुस्लिम नेताओं को सुरक्षित विधानसभा सीटों पर अपने-अपने समाज के लोगों को बसपा में जोड़ने का जिम्मा दिया है. इसके लिए उन्होंने जाट और मुस्लिम नेताओं से जमीनी स्तर पर काम करने और समाज की छोटी-छोटी बैठकें करने का मंत्र दिया.
बीजेपी पर मुसलमानों से अन्याय का आरोप
मायावती ने सत्ताधारी बीजेपी पर मुसलमानों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजपी की प्रदेश सरकार से मुस्लिम समाज दुखी है और इनकी तरक्की बंद है. बीजेपी सरकार में ज्यादातर फर्जी मुकदमों में फंसाकर मुसलमानों का उत्पीड़न किया जा रहा है और नए-नए नियमों के तहत इनमें काफी दहशत पैदा की जा रही है, जो ये सब मेरी सरकार में कतई नहीं हुआ है, ये बात भी सर्वविदित है.
जाट समाज से भी सौतेला व्यवहार
बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा, ‘मुसलमानों की तरह जाट समाज के साथ भी बीजेपी सरकार का सौतेला रवैया साफ नजर आता है. बसपा सरकार में मुस्लिमों को तरक्की के साथ साथ इनके जान माल की पूरी हिफाजत की गई है और जाट समाज की तरक्की का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है.’ साथ ही मायावती ने वादा किया कि अगर बसपा सत्ता में आती है तो मुसलमान और जाट समुदायों के हितों और कल्याण का पूरा ख्याल रखा जाएग. इस तरह से मायावती ने जाट और मुस्लिम को भरोसा दिलाकर साथ जोड़ने का दांव चला है.
बता दें कि पश्चिमी यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित वोटर काफी निर्णायक भूमिका में है. एक समय मायावती दलित-मुस्लिम समीकरण के जरिए पश्चिमी यूपी में जीत का परचम फहराती रही है, लेकिन इस बार के सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. किसान आंदोलन के चलते आरएलडी के राजनीतिक संजीवनी मिली है, जिसके बाद जाट वोटरों का झुकाव एक बार फिर से आरएलडी की नजर आ रहा है. ऐसे में सपा और आरएलडी ने 2022 का चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया है.