नागपुर में सोमवार को भड़की हिंसा के पहले और बाद में सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने वालों पर नागपुर पुलिस की साइबर सेल कारवाई कर रही है. कई ऐसे अकाउंट्स की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कारवाई भी हो रही है.
बुधवार तक 6 FIR दर्ज हुई थी लेकिन अब इनकी संख्या 10 हो गई है. ताजा 4 FIR सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने, भड़काने, उकसाने के मामलों में दर्ज की गई है. नागपुर पुलिस की साइबर सेल ने बांग्लादेश से संचालित एक फेसबुक अकाउंट की भी पहचान की है, जिसने नागपुर में बड़े पैमाने पर दंगे भड़काने की धमकी दी थी.
यह खतरनाक पोस्ट एक बांग्लादेशी यूजर द्वारा किया गया था, जिसमें उसने लिखा था कि सोमवार का दंगा तो सिर्फ एक छोटी घटना थी और भविष्य में और बड़े दंगे होंगे. जांच में पता चला कि यह अकाउंट संचालित करने वाला व्यक्ति बांग्लादेश का निवासी है और उसने यह संदेश बांग्लादेश से पोस्ट किया था. साइबर सेल ने फेसबुक से इस अकाउंट को ब्लॉक करने का अनुरोध किया है.
सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़
सोशल मीडिया का उपयोग न केवल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है बल्कि इसके जरिये अफवाहें भी फैलाई जा रही है. पिछले दो दिनों में कई पोस्ट्स में दावा किया गया कि दंगों में घायल हुए दो लोगों की अस्पताल में मौत हो गई है. हालांकि ये जानकारी पूरी तरह से गलत है.
साइबर सेल ने अब तक 97 ऐसे पोस्ट्स की पहचान की है जो झूठी जानकारी फैला रहे थे. साइबर सेल ने जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी असत्यापित जानकारी पर विश्वास न करें और अफवाहों को फैलाने से बचें.
200 की पहचान, 90 गिरफ्तार
नागपुर शहर पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों को पकड़ने और उनकी पहचान के लिए 18 विशेष जांच टीमें (एसआईटी) बनाई हैं. अब तक पुलिस ने 200 लोगों की पहचान कर ली है और अन्य 1,000 संदिग्धों की पहचान करने में जुटी हुई है.
ये संदिग्ध हिंसा के दौरान सीसीटीवी फुटेज में कैद हुए थे. पुलिस की विशेष टीमें इन फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही हैं. अब तक 90 लोगो को गिरफ्तार किया गया है. बता दें कि नागपुर हिंसा के बाद दो दिनों से कर्फ्यू है. गुरुवार के दिन सुरक्षा समीक्षा करने के बाद कर्फ्यू में राहत दी जा सकती है.
जलाई गई चादर पर कुछ नहीं था!
औरंगजेब के पुतले पर लगे हरे चादर पर क्या लिखा है उसे समझने के लिए मौलाना और एक्सपर्ट की मदद ली गई. इसी तरह की मिलती हुई चादर को एक्सपर्ट और धर्म प्रमुख को दिखाया गया. यह सामने आया है कि चादर पर कोई धार्मिक शब्द या कथन नहीं लिखा हुआ था.
