केरल हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुष की दूसरी शादी को लेकर अहम बात कही है. कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना चाहता है तो उसके लिए पहली पत्नी की भी बात सुनी जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में धर्म बाद में आता है. जज ने यह भी कहा कि 99.99 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं अपने पति की दूसरी शादी के विरोध में होंगी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा कि दूसरी शादी के लिए पहली पत्नी की सहमति ली जानी चाहिए और जब दूसरी शादी के पंजीकरण का सवाल आता है तो रस्मी कानून लागू नहीं होते हैं. कोर्ट ने एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी दूसरी पत्नी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए यह बात कही. कपल ने उनकी शादी का पंजीकरण करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था. कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें व्यक्ति की पहली पत्नी पक्षकार नहीं थी इसलिए याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने दूसरी शादी के पंजीकरण की कोशिश की, लेकिन विभाग ने इनकार कर दिया. पति ने कहा कि शादी में पहली पत्नी की सहमति शामिल है. इस पर कोर्ट ने कहा कि पंजीकरण अधिकारी पहली पत्नी का पक्ष सुन सकते हैं और अगर वह पति की दूसरी शादी का विरोध करे तो संबंधित सिविल अधिकारी अदालत का रुख कर सकते हैं.
हाईकोर्ट के जज जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि कुरान या मुस्लिम लॉ पहली पत्नी के जीवित रहते और शादी कायम रहते, केरल विवाह पंजीकरण-2008 के तहत किसी और महिला के साथ वैवाहिक संबंध की इजाजत देते हैं, जबकि पहली पत्नी को इसकी कोई खबर ही नहीं है.’ उन्होंने कहा कि पहली पत्नी पति की दूसरी शादी के पंजीकरण के दौरान मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती है.
जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा कि पहली पत्नी की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम कानून के तहत विशेष परिस्थितियों में दूसरी शादी की इजाजत है. पर्सनल लॉ दूसरी शादी की अनुमति देता है, लेकिन दूसरी शादी को पंजीकृत कराने के मामले में देश का कानून ही लागू होगा और ऐसी स्थिति में पहली पत्नी को पक्ष रखने का मौका दिया जाना जरूरी है.
जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा कि उन्हें यकीन है कि 99.99 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं अपने पति की दूसरी शादी के खिलाफ होंगी. उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को भी पतियों के दोबारा शादी करने पर सुनवाई का अधिकार मिलना चाहिए.








