अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुतक्की की नई दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर भारत में सियासी हलचल तेज हो गई है. दरअसल, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया, जिसके बाद विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए. मुतक्की ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘हमने महिलाओं को मना नहीं किया था’ और उम्मीद जताई कि भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते और बेहतर होंगे.
‘हमने महिलाओं को नहीं रोका’- मुतक्की
अफगान विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम कोशिश करेंगे कि रिश्ते और बेहतर हों. आना-जाना और बढ़े, हालात सुधरें. हम एक ही इलाके के लोग हैं, एक-दूसरे की जबान बोल सकते हैं. हमने महिलाओं को मना नहीं किया था.’ मुतक्की ने कहा कि उनका भारत आने का मकसद दारुल उलूम देवबंद, भारतीय सरकार और सियासी लोगों से मिलना-जुलना है. उन्होंने कहा कि भविष्य में भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार और राजनीतिक रिश्ते मजबूत करने की कोशिश की जाएगी.
महिला पत्रकारों को क्यों नहीं बुलाया गया?
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुतक्की की बातचीत के कुछ घंटे बाद दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास में हुई थी. भारतीय पक्ष ने महिला पत्रकारों को भी शामिल करने का सुझाव दिया था, लेकिन माना जा रहा है कि पत्रकारों की सूची तालिबान अधिकारियों ने बनाई थी. भारत सरकार ने कहा कि इस कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं थी.
विपक्ष ने PM मोदी पर साधा निशाना
इस घटना को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, पी चिदंबरम, और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने केंद्र सरकार को घेरा. प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘प्रधानमंत्री मोदी जी, बताइए कि भारत में तालिबान प्रतिनिधि की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया? अगर महिलाओं के अधिकारों पर आपकी बातें सच्ची हैं, तो यह अपमान कैसे होने दिया गया?’
राहुल गांधी ने कहा-‘जब आप महिला पत्रकारों को मंच से बाहर रखने की इजाज़त देते हैं, तो आप भारत की हर महिला को यह दिखा रहे हैं कि आप उनके लिए खड़े नहीं हो सकते.’ पी चिदंबरम ने पत्रकारों से अपील की कि ऐसे मामलों में पुरुष पत्रकारों को भी बाहर निकलकर विरोध जताना चाहिए था. महुआ मोइत्रा ने भी कहा कि भारत में धार्मिक आजादी पर सख्ती है, लेकिन एक विदेशी कट्टरपंथी को महिलाओं के साथ भेदभाव की अनुमति दी जा रही है- यह विरोधाभास है.
महिलाओं के अधिकारों पर सवाल टाला
महिला अधिकारों को लेकर पूछे गए एक सीधे सवाल पर मुतक्की ने जवाब देने से बचते हुए कहा कि हर देश की अपनी परंपराएं होती हैं. अफगानिस्तान में तालिबान शासन पर महिलाओं के अधिकारों को सीमित करने के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं.
