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‘उस दिन जो हुआ मैं हैरान था…’, जूता फेंकने की कोशिश की घटना पर क्या बोले CJI गवई

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मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने अपनी तरफ जूता फेंके जाने की कोशिश की घटना को ‘एक भूला हुआ अध्याय’ कहा है. चीफ जस्टिस ने गुरुवार (9 अक्टूबर, 2025) को तब यह बात कही जब सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कुछ साल पहले हुई ऐसी ही एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि तब बेंच ने ऐसी हरकत करने वाले पर अवमानना की कार्रवाई की थी.

एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण ने कहा, ‘मैंने इस बारे में एक लेख लिखा था. कुछ ऐसी घटनाएं 10 साल पहले अदालत में हुई थीं. उस समय अवमानना की शक्तियों और उन पर कर्यान्वयन की प्रक्रिया को लेकर दो जजों ने अपनी राय दी थी कि ऐसी परिस्थिति में क्या होना चाहिए.’

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘सोमवार को जो हुआ उससे मैं और मेरे साथ बैठे जज स्तब्ध थे, लेकिन अब हमारे लिए यह भूला हुआ अध्याय है.’ हालांकि, बेंच के दूसरे जज उज्जल भुईंया ने सीजेआई गवई से असहमति जताते हुए कहा कि ये घटना सुप्रीम कोर्ट का अपमान है. उन्होंने कहा, मेरे इस पर अलग विचार हैं. वह देश के मुख्य न्यायाधीश हैं. ये कोई मजाक की बात नहीं है.  इसके बाद में किसी को भी किसी भी तरह का माफीनामा नहीं दे रहा हूं.. यह पूरे संस्थान पर आघात है क्योंकि जजों के रूप में सालों में हम कई ऐसे काम करते हैं जिन्हें दूसरे लोग उचित न समझते हों, लेकिन इससे हमारे अपने निर्णयों पर विश्वास कम नहीं होता है.

वनशक्ति जजमेंट पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर चर्चा हुई और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह अक्षम्य अपराध था, लेकिन कोर्ट और पीठ ने जो संयम और उदारता दिखाई वह सराहनीय और प्रेरक है. इससे पहले अदालत में दो कुछ हुआ वह पूरी तरह अक्षम्य है. सीजेआई ने समापन करते हुए कहा कि अब वो अध्याय हमारे लिए भुला बिसरा इतिहास है. हम आगे बढ़ चके हैं.

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