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Lok Sabha Election: अखिलेश यादव की नई टीम में पश्चिमी यूपी को कम तवज्जो मिलने पर उठे सवाल, सफाई में क्या बोली सपा?

लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव की नई टीम का आंकलन शुरू हो गया है. बता दें कि रविवार को समाजवादी पार्टी ने 182 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी का एलान किया. टीम में क्षेत्र और पीडीए फॉर्मूला पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और दलितों के प्रतिनिधित्व का आंकलन किया जा रहा है. पश्चिमी यूपी से अखिलेश यादव की टीम में सिर्फ 5 मुस्लिमों को शामिल किया गया है. पश्चिमी यूपी की कई सीटें मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती हैं. पश्चिमी यूपी से सपा ने सिर्फ 5 मुस्लिम चेहरों पर भरोसा जताया है. सियासी सरगर्मियों में बने रहने वाले मेरठ से किसी मुस्लिम नेता को जिम्मेदारी नहीं मिली है. 2022 के विधानसभा चुनाव में मेरठ से सपा के दो प्रत्याशी विधायक बने थे.

अखिलेश यादव की नई टीम का आंकलन

मेरठ के अलावा शामली और बिजनौर से भी मुस्लिम नेताओं को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है. अलीगढ़ और अमरोहा को प्रतिनिधित्व जरूर दिया गया है. जानकारों का कहना है कि पश्चिमी यूपी के मुस्लिमों की पहली पसंद सपा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन की वजह से बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुआ था. सहारनपुर, नगीना, संभल, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर और अमरोहा की लोकसभा सीटों पर गठबंधन को विजय मिली थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा-रालोद गठबंधन से बीजेपी को पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर नुकसान हुआ था.

क्या बोले सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद

अखिलेश यादव की प्रदेश कार्यकारिणी की टीम में 24 मुस्लिम, 17 दलित, 11 यादवों को जगह मिली है. अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव और सदस्यों की संख्या 119 है. उसमें 8 ब्राह्मण, 45 गैर यादव ओबीसी और 14 वैश्य, कायस्थ, जैन, सिख और ईसाई समुदाय के लोग शामिल हैं. प्रवक्ता फखरुल हसन चांद का कहना है कि कार्यकारिणी का गठन करते समय सपा ने ईस्ट और वेस्ट नहीं देखा है. पार्टी पूरे प्रदेश को एक जैसा देखती है और पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के लिए नई कार्यकारिणी बनाई गई है. इस बार यादवों की अपेक्षा गैर यादव ओबीसी को ज्यादा महत्व मिला है ताकि अन्य पिछड़ी जातियों का भी प्रतिनिधित्व सपा में हो सके. उनकी मदद से सपा समाज के हर वर्ग तक पहुंचेगी.

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