शिवसेना का BJP पर तंज, आपातकाल के दौरान भी विपक्ष को इस तरह से निशाना नहीं बनाया
शिवसेना ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा संजय राउत की गिरफ्तारी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्ष को इस तरह का निशाना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान भी नहीं हुआ था. पार्टी के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में, शिवसेना ने कहा कि अगर विपक्ष का सम्मान नहीं किया जाता है तो लोकतंत्र और एक देश नष्ट हो जाता है. राउत को ईडी ने रविवार रात मुंबई में एक चॉल पुनर्विकास योजना में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. उन्हें 4 अगस्त तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया था.
शिवसेना ने कहा कि राज्य सभा सांसद और सामना के कार्यकारी संपादक राउत को राजनीतिक बदला लेने के लिए गिरफ्तार किया गया है और कथित पात्रा चॉल मामले में उन्हें फंसाने के लिए कई “झूठे सबूत” पेश किए गए. संपादन में कहा गया है कि यदि वह भी भाजपा के साथ जाते तो वह भी उनकी वॉशिंग मशीन में साफ हो जाता.
राउत को गिरफ्तार करने में जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए शिवसेना ने कहा कि उन्होंने ईडी को एक पत्र सौंपा है जिसमें कहा गया है कि वह संसद के मानसून सत्र और उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद धन शोधन रोधी एजेंसी के समक्ष पेश होंगे, लेकिन ईडी ने इस पर विचार नहीं किया. और रविवार की सुबह उनके आवास पर छापा मारा. संपादकीय में कहा कि, सत्ता में बैठे लोगों ने सच बोलने वालों का गला घोंटने या जीभ काटने का फैसला किया है. इंदिरा जी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान भी ऐसा कभी नहीं हुआ.
1975-77 में आपातकाल के दौरान कई विपक्षी नेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया था. भाजपा पर एक और कटाक्ष करते हुए, शिवसेना ने कहा कि विपक्षी नेताओं को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा नोटिस जारी किए गए थे, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या जैसे कथित आर्थिक अपराधी देश से भाग गए थे.
संपादकीय में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही समूह को भी फटकार लगाते हुए कहा कि जो सांसद और विधायक अब साहस की बात कर रहे हैं वे ईडी और आयकर के रडार पर हैं. पार्टी ने कहा, “ये सभी लोग आज संतों की तरह बात कर रहे हैं.” शिवसेना ने याद किया कि राउत ने छह महीने पहले राज्यसभा के उपाध्यक्ष वेंकैया नायडू को एक पत्र सौंपा था जिसमें कहा गया था कि कुछ लोगों ने उनसे संपर्क किया था, जिन्होंने उनसे तत्कालीन सरकार को गिराने में मदद करने के लिए कहा था. महाराष्ट्र में एमवीए सरकार नहीं गिरी तो उसे परिणाम भुगतने होंगे.