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संसदीय बोर्ड को पुनर्जीवित करने की कांग्रेस असंतुष्टों की मांग CWC कर सकती है खारिज : सूत्र

संसदीय बोर्ड, जिसका तंत्र कांग्रेस के संविधान में निहित है, पी वी नरसिम्हा राव के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद भंग कर दिया गया था. तब से इसे पुनर्जीवित नहीं किया गया है.

नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) सूत्रों ने कहा है कि पार्टी के संसदीय बोर्ड (Parliamentary Board) को पुनर्जीवित करने की पार्टी असंतुष्टों की मांग ने कांग्रेस कार्य समिति (CWC) द्वारा जांच की जाने वाली सुझावों की सूची में जगह बना ली है लेकिन इस बात की संभावना कम है कि उसे स्वीकार किया जाएगा. सुबह 11.30 बजे कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हो रही है. इससे पहले सभी समितियों के कॉर्डिनेटर्स पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं.
पार्टी के एक नेता ने कहा, “कांग्रेस संसदीय बोर्ड को पुनर्जीवित करने की असंतुष्ट धड़े की मांग सीडब्ल्यूसी द्वारा स्वीकार किए जाने की संभावना कम ही है क्योंकि इसे कांग्रेस अध्यक्ष की शक्तियों को कम करने के रूप में देखा जा रहा है.” कांग्रेस कार्य समिति (CWC) पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है.
संसदीय बोर्ड, जिसका तंत्र कांग्रेस के संविधान में निहित है, पी वी नरसिम्हा राव के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद भंग कर दिया गया था. तब से इसे पुनर्जीवित नहीं किया गया है.

कांग्रेस का संविधान कहता है, “कार्य समिति एक संसदीय बोर्ड का गठन करेगी जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष और नौ अन्य सदस्य होंगे, जिनमें से एक संसद में कांग्रेस पार्टी का नेता होगा. कांग्रेस विधानमंडल दलों की संसदीय गतिविधियों को विनियमित करने और समन्वय करने के उद्देश्य से बोर्ड कांग्रेस अध्यक्ष के साथ समन्वय कर नियम तैयार करेगा.”

अगर कांग्रेस संसदीय बोर्ड का गठन करती है तो वह लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में अहम भूमिका निभाएगी. फिलहाल यह काम पार्टी की चुनाव समिति कर रही है.

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कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं का धड़ा, जिसे जी-23 भी कहा जाता है, निर्णय लेने को और अधिक समावेशी बनाने के लिए संसदीय बोर्ड प्रणाली के पुनरुद्धार पर जोर दता रहा है. सूत्रों ने कहा कि गांधी के वफादार इस प्रस्ताव को अनुमति नहीं देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे विवाद की स्थिति पैदा हो गई है.

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