बढ़ते कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में शुरू हुई तैयारियां, AIIMS अस्पताल में दो प्राइवेट वार्ड किए गए रिजर्व
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में एक बार फिर कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के मामले तेजी से बढ़ रह हैं. ऐसे में कोविड-19 (Covid-19) की नई वेव को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि अभी नहीं वेव नहीं आई है लेकिन नए मरीजों की संख्या और पॉजिटिविटी रेट में इजाफा होना चिंता को बढ़ा रहा है. इन सबके बीच राहत की बात ये है कि राजधानी में कोरोना के मरीज की संख्या और संक्रमण दर तो बढ़ रही है लेकिन अस्पतालों में भर्ती की संख्या कम है. इसे देखते हुए ही एम्स प्रशासन ने अपने ट्रॉमा सेंटर को कोविड डेडिकेटेड करने की बजाए एम्स के दो वार्डों को कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए रिजर्व करने का फैसला लिया है.
एम्स में फिलहाल कोरोना के सिर्फ 3 मरीज भर्ती हैं
वहीं एम्स के इस फैसले से एक्सिडेंट या अन्य तरह की कैजुअल्टी की वजह से ट्रॉमा सेंटर पहुंचने वाले मरीजों को परेशानी से छुटकारा मिलेगा. गौरतलब है कि फिलहाल एम्स में कोरोना के सिर्फ 3 मरीज भर्ती हैं. एम्स द्वारा जारी किए दए आदेश के मुताबिक फिलहाल जिरियाट्रिक और पल्मोनरी वार्ड को कोविड के लिए रिजर्व किया गया है. वहीं इन वार्डों के मरीजों को सर्जरी वार्ड में शिफ्ट करने के आदेश जारी किए गए हैं.
इधर एम्स परिसर में बने नए सर्जरी ब्लॉक में सर्जरी विभाग को पूरी तरह से शिफ्ट होने को कहा गया गै. इसेस नया ब्लॉक भी अपनी पूरी कैपेसिटी के साथ काम करने लगेगा. ऐसा होने पर दिल्ली के लिए बेहद जरूरी ट्रॉमा सेंटर पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा.
एक्सपर्ट्स की सलाह कोविड के बढ़ते मामलों के चलते सरकार कर्फ्यू लगाए
इसी के साथ बता दें कि अप्रैल महीने में कोरोना के मामलों में 70 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है. सोमवार को दिल्ली में कोरोना के 1 हजार 11 नए मामले सामने आए और इसी के साथ संक्रमण दर 6.42 प्रतिशत तक पहुंच गई. वहीं मौजूदा स्थिति को देखते हुए हेल्थ एक्सपर्ट्स की सलाह है कि दिल्ली सरकार को कोविड की रोकथाम के लिए कर्फ्यू लगा देना चाहिए. नियम के अनुसार अगर पॉजिटिविटी रेट लगातार 3 से 5 दिन तक 5 प्रतिशत से ऊपर बना रहता है तो सरकार कर्फ्यू लगा सकती है.
मामले बढ़ने के बावजूद अस्पताल में भर्ती की संख्या कम
वहीं दिल्ली सरकार का कहना है कि मामले बेशक बढ़ रहे हैं लेकिन अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम है. राजधानी में 11 अप्रैल को एक्टिव मरीजों की संख्या 601 थी जो अब बढ़कर 41 हजार 168 हो गई है. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना नियमों का सही ढंग से पालन न करने की वजह से कोविड-19 मामलों में इजाफा हुआ है. एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि मौजूदा स्थिति से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ज्यादातर लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है और पिछले संक्रमण की वजह से इम्यूनिटी भी बनी हुई है.
दिल्ली में 15 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच कितने बढ़े कोरोना के मामले
- 15 अप्रैल- 366 नए मामले
- 16 अप्रैल – 461 कोविड-19 के केस
- 17 अप्रैल- 517 कोरोना के मामले
- 18 अप्रैल- 501 कोरोना के मामले
- 19 अप्रैल- 632 कोविड-19 के केस
- 20 अप्रैल- 1,009 कोविड-19 के मामले
- 21 अप्रैल- 965 कोरोना के मामले
- 22 अप्रैल- 1042 कोविड के मामले
- 23 अप्रैल- 1094 कोरोना के मामले
- 24 अप्रैल- 1083 कोविड के मामले
- 25 अप्रैल- 1011 कोरोना के मामले
अप्रैल में कोविड-19 के मामलों में 70 फीसदी इजाफा हुआ
वहीं दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने के तीन सप्ताह में कोरोना के इतने मामले दर्ज किए गए हैं जितने पूरे मार्च महीने में नहीं आए थे. आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में अप्रैल महीने की शुरुआत में कोरोना के मामले बढ़ने लगे थे. इस दौरान 1 से 7 अप्रैल के बीच 826 नए मामले दर्ज किए गए. इसके अलगे हफ्ते मामलों में 70 फीसदी की इजाफा हुआ. यानी 8 से 14 अप्रैल के बीच 1, 410 नए मामले आए. वहीं 15 से 25 अप्रैल के बीच 9 हजार 873 नए मामले दर्ज किए गए. हालांकि एक्सपर्ट्स क कहना है कि नए केस बढ़ने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. फर्क तब पड़ता है जह अस्पताल में मरीजोंके भर्ती होने की संख्या ज्यादा हो. दिल्ली में जितने भी सक्रिय मामले हैं उनके 2 या 3 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्तची होना पडड रहा है. इसके साथ ही कोविड से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी कम है. इसलिए घटाने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है.