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सीएचबी ने पिछले साल में अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम (एआरएचसी) और स्मॉल फ्लैट्स निवासियों के लिए ‘अकाउंट स्टेटमेंट यानी खाता विवरण’ की सुविधा शुरू की थी। इसमें लोग देख सकते हैं कि अब तक उन्होंने कब-कब और कितना किराया जमा किया है। हाल ही में सीएचबी ने नोटिस भेजा तो कई लोग हैरान हो गए कि उन्होंने किराया जमा किया है फिर उन्हें नोटिस क्यों मिला है।
जांच किया तो पता चला कि कई किस्तें जो उन्होंने जमा कराई है, वह सीएचबी की वेबसाइट पर है ही नहीं। जो राशि लोगों ने कई साल पहले जमा करा दी थी, उसे अपडेट नहीं किया गया। इसलिए सीएचबी ने नोटिस भेजा है और मकान रद्द करने की चेतावनी दी गई है। लोगों के पास बोर्ड की ओर से दी गई रसीदें भी हैं लेकिन सीएचबी की गलती की वजह से उस राशि पर 12 प्रतिशत का ब्याज लग रहा है।
पहले बैंक और सीएचबी परिसर में किराया जमा होता था, जहां से रसीद मिलती थी। ये गलतियां इसी दौरान हुई हैं। चालान में गलत जानकारी भरने या फिर बोर्ड कर्मचारी की ओर सेकी गई गलती से ऐसा हुआ है। बोर्ड के अधिकारियों का दावा है कि ऐसे किसी मामले की जानकारी मिलते ही वह तुरंत अपडेट कर देते हैं लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जो पिछले करीब एक साल से राशि अपडेट कराने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। कई बार पत्र लिख चुके हैं।
पहला मामला: मलोया स्मॉल फ्लैट-634/1 में रहने वाले बालकेश ने बताया कि उन्होंने जुलाई 2020 में 6400 रुपये किराया जमा किया लेकिन आज तक वह सीएचबी की वेबसाइट पर अपडेट नहीं हुआ है। अपडेट कराने के लिए तीन बार पत्र लिख चुके हैं। पहली बार 22 जनवरी 2021 को पत्र लिखकर सीएचबी में देकर आए, उसके बाद 17 नवंबर 2021 और 14 मार्च 2022 को पत्र लिखकर सीएचबी में देकर आए हैं कि इस राशि को अपडेट कराया जाए लेकिन आज तक राशि अपडेट नहीं हुई है।
दूसरा मामला: धनास के स्मॉल फ्लैट नंबर-228ए में रहने वाले इंदरपाल ने बताया कि उन्होंने हमेशा समय से मकान का किराया जमा कराया है लेकिन सीएचबी की वेबसाइट पर दिख रहा है कि हमने 7380 रुपये नहीं जमा कराया है। पर्चियों का मिलान किया तो पता चला कि तीन पर्चियां ऐसी हैं, जो सीएचबी की वेबसाइट पर नहीं दिख रही हैं। इंदरपाल ने कहा कि 10 महीने पहले से वह कोशिश कर रहे हैं कि इन पर्चियों को अपडेट किया जाए और इस पर लग रहे ब्याज को खत्म किया जाए लेकिन कई बार दफ्तर जाने के बाद ही स्थिति जस की तस है।








