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चीन को टक्कर देने की तैयारी! मोदी कैबिनेट का रेयर अर्थ मैग्नेट को लेकर बड़ा फैसला, जानें पूरा मामला

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भारत सरकार ने चीन की रेयर अर्थ एक्सपोर्ट पाबंदियों के बीच बड़ा कदम उठाते हुए 7,280 करोड़ रुपये की रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स मैन्युफैक्चरिंग स्कीम को मंजूरी दे दी है. यह योजना भारत में पहली बार 6,000 MTPA की क्षमता के साथ रेयर अर्थ मैग्नेट्स के घरेलू उत्पादन की शुरुआत करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में ‘ठोस दुर्लभ पृथ्वी स्थायी चुंबकों के विनिर्माण की प्रोत्साहन योजना’ को स्वीकृति प्रदान की गई. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि योजना का लक्ष्य 6,000 टन प्रति वर्ष की उत्पादन क्षमता तैयार करना है.

रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स क्यों जरूरी हैं?
रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स दुनिया के सबसे शक्तिशाली मैग्नेट्स में शामिल हैं और ये इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और रक्षा उपकरणों में अहम भूमिका निभाते हैं. यह योजना देश में रेयर अर्थ ऑक्साइड्स को धातु में, धातु को मिश्रधातु में और मिश्रधातु से तैयार मैग्नेट बनाने की पूरी प्रक्रिया स्थापित करेगी.

2030 तक मांग दोगुनी होने की संभावना
भारत में इन मैग्नेट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है और 2025 की तुलना में 2030 तक यह दोगुनी होने की उम्मीद है. वर्तमान में भारत की जरूरतों को अधिकतर आयात से पूरा किया जाता है. इस योजना से भारत में पहली बार पूर्ण REPM उत्पादन चेन स्थापित होगी, जिससे रोजगार सृजन होगा, विदेशी निर्भरता कम होगी, घरेलू उद्योग मजबूत होंगे और देश की Net Zero 2070 प्रतिबद्धता को भी समर्थन मिलेगा.

योजना का वित्तीय ढांचा
कुल 7,280 करोड़ रुपये की योजना में शामिल हैं: 5 साल तक REPM बिक्री पर 6,450 करोड़ रुपये का बिक्री-आधारित प्रोत्साहन, और उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए 750 करोड़ रुपये की पूंजी सहायता. योजना के तहत कुल उत्पादन क्षमता 5 कंपनियों में बांटी जाएगी. प्रत्येक लाभार्थी को अधिकतम 1,200 MTPA क्षमता आवंटित की जाएगी. यह योजना कुल 7 साल चलेगी. पहले 2 साल में उत्पादन इकाइयां स्थापित की जाएंगी और इसके बाद 5 साल तक बिक्री पर प्रोत्साहन वितरित किया जाएगा.

भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता
सरकार का कहना है कि यह परियोजना भारत को REPM उत्पादन में वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाएगी और घरेलू उद्योगों के लिए REPM आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित बनाएगी. यह कदम 2047 तक विकसित भारत के विजन और नेट जीरो 2070 लक्ष्य की दिशा में एक अहम मील का पत्थर है.

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