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UP Politics: जेल से बाहर आकर भी 2027 का चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं आजम और अब्दुल्ला? इस वजह से हो रही चर्चा

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उत्तर प्रदेश की सियासत में 23 सितंबर 2025, मंगलवार का दिन काफी अहम होने वाला है. समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक-सांसद आजम खान 23 महीने के बाद जेल से रिहा हो सकते हैं. उनकी रिहाई के सियासी और रणनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. दावा है कि वह बाहर निकलने के बाद एक बार फिर पुराने अंदाज में सियासी तौर पर एक्टिव हो जाएंगे.

इन सबके बीच सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या आजम खान जेल से बाहर आ कर भी वर्ष 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं या नहीं? तो मौजूदा परिस्थितियों में इसका जवाब न है.

इसकी वजह है कि आजम खान को भड़काऊ भाषण के एक मामले में वर्ष 2022 में अदालत ने सजा सुनाई और उनकी विधायकी चली गई. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के अनुसार दोषी व्यक्ति 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता. यानी 2028 तक आजम खान खुद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इतना ही नहीं जिस मामले में उनको सजा सुनाई गई उस पर किसी भी अदालत से फिलहाल तक स्टे या रोक नहीं है. ऐसे में फिलहाल 2027 का चुनाव लड़ना आजम खान के लिए नामुमकिन है.

अब्दुल्ला की क्या है स्थिति?
कुछ ऐसा ही हाल आजम के बेटे अब्दुल्ला का है. वर्ष 2022 में पहले उनके पिता आजम खान की विधायकी गई और फिर साल 2023 में अब्दुल्ला की विधायकी चली गई. वह स्वार सीट से विधायक थे. बाद में उस सीट पर उपचुनाव हुआ. अब्दुल्ला के मामले में 6 साल की अवधि 2029 में पूरी होती है. ऐसे में दोनों पिता पुत्र मौजूदा स्थिति में 2027 का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

बता दें अब्दुल्ला की विधायकी दो बार गई है. पहली बार 16 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्र संबंधी फर्जीवाड़े के मामले में उनके चुनाव को रद्द कर दिया था. उनकी सदस्यता उसी तिथि से शून्य मानी गई. दूसरी बार 13 फरवरी 2023 को मुरादाबाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने साल 2008 के एक केस में दो साल की सजा सुनाई, जिसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी और स्वार सीट को रिक्त घोषित कर दिया.

अगर भविष्य में अदालत आजम और उनके बेटे अब्दुल्ला की सजा पर स्टे या रोक लगाती है, तब यह देखना होगा कि आजम परिवार की आगे की रणनीति क्या होगी?

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