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DRDO इंडियन एयरफोर्स के लड़ाकू बेड़े में फूंक देगा जान, Tejas Mk-2 पछाड़ देगा राफेल, कैसा होगा भारत का अगली पीढ़ी का फाइटर जेट?

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रविशंकर एस.आर. ने एक बड़े दावे में कहा कि भारत का अगली पीढ़ी का हल्का लड़ाकू विमान HAL तेजस Mk-2, फ्रांसीसी राफेल की क्षमताओं से मेल खाएगा, जो भारतीय वायु सेना (IAF) के लड़ाकू बेड़े का आधार है.

बेंगलुरु में रक्षा से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए, डॉ. शंकर ने तेजस Mk-2 के उन्नत एवियोनिक्स, स्वदेशी प्रणालियों और लागत-प्रभावशीलता को राफेल के प्रतिद्वंद्वी के रूप में स्थापित करने वाले प्रमुख कारकों के रूप में उजागर किया. हालांकि, भारतीय रक्षा उत्साही और विश्लेषक इसे एक कदम आगे ले जा रहे हैं, यह घोषणा करते हुए कि तेजस Mk-2 न केवल राफेल की बराबरी करेगा बल्कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उसे पीछे छोड़ देगा.

Tejas Mk-1A का एडवांस वर्जन Tejas Mk-2 भारतीय वायुसेना की जगुआर और मिराज 2000 जैसे पुराने पड़ चुके विमानों की जगह एक आधुनिक, बहु-भूमिका वाले लड़ाकू विमान की जरूरत को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है. 98 kN का थ्रस्ट प्रदान करने वाले जनरल इलेक्ट्रिक F414-INS6 इंजन से संचालित, Mk-2 में एक बड़ा एयरफ्रेम, 6,500 किलोग्राम की उन्नत पेलोड क्षमता और बाहरी ईंधन टैंकों के साथ 2,500 किलोमीटर की युद्धक क्षमता है.

इसके एवियोनिक्स सूट में DRDO के इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार विकास प्रतिष्ठान (LRDE) द्वारा विकसित एक स्वदेशी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार, और स्व-सुरक्षा जैमर और इन्फ्रारेड सर्च-एंड-ट्रैक (IRST) प्रणालियों से युक्त एक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) सूट शामिल है. इस विमान में कई प्रकार के स्वदेशी हथियार भी शामिल किए जाने की उम्मीद है, जिनमें ना देखे जाने वाली सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली Astra Mk-2 मिसाइल और हवा से प्रक्षेपित ब्रह्मोस-एनजी क्रूज मिसाइल शामिल हैं.

इतना आसान भी नहीं प्रोसेस
तेजस Mk-2 को कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है जो उम्मीदों पर पानी फेर रही हैं. शुरुआत में 2023 में पहली उड़ान के लिए निर्धारित इस कार्यक्रम को GE F414 के इंजन प्रमाणन और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी समस्याओं के कारण 2026 के अंत तक के लिए टाल दिया गया है. 2031 से पहले इसके पूर्ण रूप से शामिल होने की उम्मीद नहीं है, जिससे भारतीय वायुसेना जगुआर जैसे पुराने बेड़े पर निर्भर रह जाएगी, जिसकी 2025 में अब तक तीन दुर्घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं. वहीं, 4.5 पीढ़ी का ताकतवर लड़ाकू विमान, राफेल एक परिपक्व एकोसिस्टम रखता है. यह भारत के पास 36 जेट हैं, जो परिचालन में हैं. राफेल हैमर मिसाइल और उन्नत EW सिस्टम जैसे भारत-विशिष्ट तकनीकों से लैस हैं.

राफेल से आगे निकल सकता है Tejas Mk-2
अगर DRDO अपने वादों पर खरा उतरता है, तो तेजस एमके-2 लागत-प्रभावशीलता, क्षेत्रीय अनुकूलन और तकनीकी संप्रभुता के मामले में राफेल को टक्कर दे सकता है या उससे आगे निकल सकता है.इसकी स्वदेशी प्रणालियां विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करेगी, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और भू-राजनीतिक तनावों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कारक है. HAL के कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम (CATS) सहित भारत के बढ़ते मानवरहित पारिस्थितिकी तंत्र के साथ MK-2 का एकीकरण इसे नेटवर्क युद्ध में भी बढ़त दिला सकता है, एक ऐसा क्षेत्र जहां राफेल का एकीकरण कम विकसित है.

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