पुणे पोर्शे कार हादसे में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पुलिस ने दावा किया कि नाबालिग लड़के के परिवार ने ड्राइवर को धमकाया और उसे आरोप स्वीकारने के लिए मजबूर किया गया.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे में एक नाबालिग ने अपनी पोर्शे कार से दो बाइक सवार लोगों को टक्कर मार दी थी. इस हदसे में दोनों लोगों की जान चली गई. इस सप्ताह की शुरुआत में पुलिस ने कोर्ट को बताया कि ड्राइवर ने लड़के को कार चलाने से मना किया था और उसने लड़के के पिता को फोन करके उसकी हरकतों के बारे में भी बताया था. हालांकि, लड़के के पिता ने ड्राइवर से उसे गाड़ी चलाने देने के लिए कहा था.
पुलिस ने क्या बताया?
पुलिस ने शनिवार (25, मई) को मीडिया को बताया कि नाबालिग लड़के के परिवार ने ड्राइवर पर आरोपों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया था. उन्होंने कहा कि युवक को कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए परिवार ने ड्राइवर को बंधक बना लिया. साथ ही उसे धमकाया और रिश्वत की पेशकश भी की.
पहले कुछ और दिया बयान
पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब ड्राइवर पहली बार पुलिस स्टेशन आया था तो उसने लिखित बयान दिया था कि दुर्घटना के समय वह कार चला रहा था. जांच के बाद पता चला कि कार नाबालिग लड़का चला रहा था. अधिकारी ने कहा, “परिवार ने ड्राइवर को सारे आरोप लेने के लिए धमकाया और उसे बंधक बनाकर रखा. जबकि ड्राइवर गाड़ी नहीं चला रहा था. बल्कि आरोपी नाबालिग के परिवार ने ड्राइवर को रिश्वत देने की कोशिश की.”
ड्राइवर ने लगाए आरोप
ड्राइवर गंगाधर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि 19 मई की रात को थाने से निकलने के बाद उसे सुरेन्द्र अग्रवाल के घर ले जाया गया. जहां पहले उसका फोन छीना गया और उसके बाद बंगले में उसे बंधक बनाकर रखा गया. पुणे पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने शनिवार सुबह नाबालिग के दादा को ड्राइवर को बंधक बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है. उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 365 और 368 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
