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Lok Sabha Elections 2024: भतीजे आकाश ही नहीं भाई आनंद को भी पद से हटा चुकी हैं मायावती, क्या राजनीतिक संदेश देना चाहती हैं? 5 प्वाइंट्स में समझें

बीएसपी सुप्रीमो मायावती (mayawati) ने बुधवार को अपने भतीजे आकाश आनंद (akash anand) को अपरिपक्व बताते हुए पार्टी कॉर्डिनेटर और राजनीतिक वारिस के पद से हटा दिया. मायावती कड़े फैसले लेने के लिए जानी जाती हैं और इससे पहले भी वो इस तरह के फैसले ले चुकी हैं. मायावती ने पिछले साल दिसंबर में ही अपने भतीजे को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था.

बसपा सुप्रीमो मायावती अपने कड़े फैसले के लिए जानी जाती हैं और वो जब भी फैसला लेती हैं वो चौंकाने वाला होता है. मायावती ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भी इसी प्रकार के एक्शन से हर किसी को चौंका दिया था.

लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया गया था. इसके बाद मायावती ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से आनंद कुमार को हटा दिया था. हालांकि, चुनाव समाप्त होने के बाद एक बार फिर उन्होंने आनंद कुमार को इस पद पर बहाल कर दिया था. मायावती ने आकाश आनंद पर कार्रवाई कर एक संदेश देने का प्रयास किया है कि उनके लिए परिवार नहीं, पार्टी जरूरी है.

आक्रमकता की वजह से हुई कार्रवाई!

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद आकाश को पार्टी के नैशनल कोऑर्डिनेटर के पद का दायित्व सौंपने वाली मायावती ने इस लोकसभा चुनाव के पहले 10 दिसंबर को ही अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था. इसके साथ ही आकाश की एकदम से सक्रियता दिखाई देने लगी और यही संदेश देने की कोशिश हुई कि अब युवा आकाश बसपा के अच्छे दिन लौटाएं. आकाश की आक्रमकता के कारण एक बार कड़ा फैसला लेकर मायावती ने संदेश दिया कि वो गंभीरता के मुद्दे पर समझौता नहीं करने वाली हैं.

आकाश को आगे मिल सकती है जिम्मेदारी

माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भी बसपा की एक दशक पहले जैसी स्थिति हो सकती है. इससे पहले वर्ष 2014 के चुनाव में अकेले लड़ी बसपा शून्य पर सिमट गई थी. पिछले चुनाव में बसपा को 10 सीटें तब मिली थी, जब वह सपा से गठबंधन कर 38 सीटों पर लड़ी थीं. गौर करने की बात है कि मायावती ने आकाश पर कार्रवाई का आधार उसकी ‘अपरिपक्वता’ बताया है. ऐसे में कहा जा रहा है कि कुछ वक्त गुजरने के बाद आकाश को परिपक्व मानते हुए फिर पार्टी की अहम जिम्मेदारियां दे दी जाएंगी.

आकाश ने बीजेपी पर बोला था हमला

राजनीतिक सभा में आकाश आनंद ने पांच किलो मुफ्त अनाज मामले पर भाजपा के खिलाफ करारा हमला बोला था. उनके बयान के आधार पर उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया. इसके बाद से ही मायावती उनके खिलाफ एक्शन लेंगी ऐसी चर्चा चल रही थी.

राजनीतिक सफर में मायावती ने सत्ता की मास्टर-की अपने पास रखने से कम कीमत पर कभी समझौता नहीं किया उनकी पूर्व की गठबंधन की सरकारों में भी जब सत्ता का हस्तांतरण होने की नौबत आई या मायावती से उपर उठने की किसी ने कोशिश की तो बसपा ने अपने हाथ वापस खींच लिए. अपने संदेश में उन्होंने विरोधी दलों को यह भी आभास करा दिया कि उनका वोट बैंक भले की कम हुआ हो, लेकिन दलित बसपा को ही अपनी पार्टी मानते हैं.

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