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हिमाचल प्रदेश: इस्तीफा देने वाले निर्दलीय विधायकों को HC से राहत नहीं, अब तीसरे जज को भेजा जाएगा केस

हिमाचल प्रदेश विधानसभा से इस्तीफा देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों को हाई कोर्ट से फौरी राहत नहीं मिली. दो जजों की डिविजन बेंच ने मामला तीसरे जज को रेफर कर दिया. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ की बेंच ने मामले पर अलग-अलग राय जाहिर की. इसके बाद फैसला हुआ कि याचिका तीसरे जज के पास सुनवाई को भेजी जाए. विधायकों ने अदालत से गुहार लगाई है कि वह विधानसभा स्पीकर को उनका इस्तीफा मंजूर करने का निर्देश दे. इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था. तीनों विधायकों- होशियार सिंह (देहरा), आशीष शर्मा (हमीरपुर) और केएल ठाकुर (नालागढ़) ने 22 मार्च को स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया को इस्तीफा सौंपा था. अगले दिन तीनों बीजेपी में शामिल हो गए थे. बुधवार को चीफ जस्टिस राव ने कहा कि स्पीकर को इस बारे में अदालत से कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि इस्तीफे स्वीकार करने की शक्ति सिर्फ स्पीकर के पास है. हालांकि, जस्टिस दुआ ने कहा कि स्पीकर को दो सप्ताह के भीतर निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने पर फैसला करने के निर्देश दिए जाएं. जजों में सहमति न होने की वजह से मामला तीसरे जज को भेजे जाने का आदेश पारित किया गया.

निर्दलीय विधायकों को फौरी राहत से हाई कोर्ट का इनकार
तीन निर्दलीय विधायकों की याचिका पर HC ने पिछले हफ्ते अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. बुधवार को चीफ जस्टिस राव और जस्टिस दुआ की बेंच ने खुली अदालत में फैसला सुनाया. विधायकों की लीगल टीम में शामिल एडवोकेट अंशुल बंसल ने कहा, ‘चीफ जस्टिस तीसरी बेंच का गठन करेंगे. निर्दलीय विधायकों को किसी तरह की फौरी राहत नहीं मिली है. डिविजन बेंच के जजों के विचार अलग-अलग थे इसलिए मामला तीसरे जज को रेफर किया गया.’ 30 अप्रैल को सुनवाई के आखिरी दिन, विधायकों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने रखा था. बंसल, सिंह की मदद कर रहे थे. पठानिया की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए थे. सुनवाई के दौरान, विधायकों की दलील थी कि स्पीकर लंबे समय पर इस्तीफा लटकाए नहीं रख सकते. उनके वकील ने कई फैसलों का हवाला दिया. वहीं, सिब्बल ने HC को बताया कि विधायकों ने इस्तीफे के अगले दिन ही बीजेपी ज्वॉइन कर ली, इसलिए मामले की जांच होनी चाहिए.

हिमाचल हाई कोर्ट: फैसले में जजों ने क्या कहा?

बुधवार को फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 190(3)(बी) के तहत इस्तीफों को स्वीकार करने का अधिकार केवल स्पीकर के पास है. स्पीकर को निश्चित समय सीमा के भीतर इस्तीफे स्वीकार करने पर निर्णय लेने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता. चीफ जस्टिस राव ने कहा कि उन्होंने इस्तीफों की ‘स्वैच्छिकता या वास्तविकता’ पर कोई राय जाहिर नहीं की है. हालांकि, जस्टिस दुआ ने कहा कि अगर स्पीकर को फैसले की जानकारी मिलने से उचित समय में, दो सप्ताह के भीतर इस्तीफों पर निर्णय लेने के निर्देश दिए जाएं तो ‘न्याय पूरा हो जाएगा’.

हिमाचल प्रदेश के निर्दलीय विधायकों का केस क्या है?
बीजेपी के टिकट देने से इनकार के बाद इन तीनों ने 2022 में निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने 40 विधायकों के साथ सरकार बना ली. इन तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार को समर्थन दिया. फरवरी 2024 में जब राज्यसभा चुनाव हुए तो तीन निर्दलीय विधायकों ने छह कांग्रेस बागियों के साथ मिलकर बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया. तीन हफ्ते बाद, 22 मार्च को निर्दलीय विधायकों ने सरकार पर ‘बदले की राजनीति’ का आरोप लगाते हुए विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. अगले दिन तीनों बीजेपी में शामिल हो गए. कुछ कांग्रेस विधायकों ने स्पीकर से शिकायत कर दी कि इन विधायकों ने दबाव में इस्तीफा दिया है. स्पीकर ने तीनों को नोटिस जारी करते हुए इस्तीफे मंजूर करने से इनकार कर दिया.

कांग्रेस के जिन छह बागियों ने बीजेपी के पक्ष में वोटिंग की थी, उनकी सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन जारी कर दी है. लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव के लिए 1 जून को वोटिंग होगी. वोटों की गिनती 4 जून को होनी है.

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