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Israel-Hamas War: कहां तक फैला है फलस्तीन का इलाका, किस-किस हिस्से पर कब्जा और किन के हाथों में है कंट्रोल, जानें पूरा इतिहास और मौजूदा स्थिति

इजरायल और हमास के बीच जारी जंग को दो हफ्तों से ज्यादा समय बीत चुका है. 7 अक्टबूर के सरप्राइज अटैक से तिलमिलाया इजरायल जिस तरह से हमले कर रहा है उससे लग रहा है कि वह हमास को खत्म करके ही दम लेगा. चुन-चुन कर हमास के ठिकानों पर गोले बरसाए जा रहे हैं. गाजा पट्टी के बाद अब वेस्ट बैंक में हमास के ठिकानों पर हमले तेज हो गए हैं. रविवार को इजरायली सेना ने वेस्ट बैंक की एक मस्जिद के अंडरग्राउंड एरिया पर एयरस्ट्राइक की. इजरायल और हमास की इस जंग में फलस्तीनी दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं.

पिछले सालों में हमास समय-समय पर इजरायल पर हमले करता रहा है. उसका कहना है कि इजरायल ने फलस्तीनियों की जमीन हथियाई है और वह इस जमीन को इजरायल के कब्जे से छुड़वाकर ही रहेगा. यही दावा कर वह बार-बार इजरायल पर हमले करता है और हर बार उसको ही ज्यादा नुकसान भुगतना पड़ता है. इतिहास कहता है कि 1948 के बाद फलस्तीन का बंटवारा कर यहूदियों के लिए अलग देश इजरायल बना दिया गया. 1948 और 1967 में यहूदियों और अरब लोगों के बीच जंगें हुईं और हर बार इजरायल के हाथों फलस्तीन अपनी जमीन खोता गया. फलस्तीन के अंदर भी इस वक्त दो गुट हैं, जिनकी अलग-अलग इलाकों में सरकारें चलती हैं. एक गुट इजरायल के साथ रिश्ते सुलझाने के लिए किए गए ओस्लो समझौते को मानता है, जबकि दूसरा गुट है जो इस समझौते को नहीं मानता. आइए जानते हैं अब कौन-कौन से हिस्से फलस्तीन के पास हैं और किस हिस्से को कौन नियंत्रित कर रहा है-

फलस्तीन का इतिहास
गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक, यरूशलम और इजरायल ये जो नाम हम आजकल सुन रहे हैं, 1948 से पहले तक यह पूरा इलाका फलस्तीन कहलाता था. ईसाई, इस्लाम और यहूदी लोग यहां रहा करते थे. इस जमीन पर अलग-अलग देशों की हुकूमतों ने राज किया. 1918 से पहले इस इलाके पर ओटोमन हुकूमत थी, लेकिन फर्स्ट वर्ल्ड में ओटोमन हार गया और यहां ब्रिटिश राज आया. ब्रिटिश यहूदियों के लिए अलग निवास स्थान का समर्थन करते थे और 1947 में संयुक्त राष्ट्र में यहूदियों के लिए अलग देश का प्रस्ताव दिया गया. यूएन में यह पारित हुआ और 14 मई, 1948 को यहूदियों को इजरायल के रूप में अलग देश मिल गया. फलस्तीन का ही बंटवारा कर इजरायल बनाया गया. इजरायल को 55 फीसदी और फलस्तीन को 45 फीसदी जमीन मिली.

इजरायल बनने के अगले ही दिन फलस्तीन के साथ मिस्त्र, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन जैसे देशों ने इजरायल पर हमला बोल दिया. इस जंग में इजरायल और उभर कर सामने आया और उसने इन सभी देशों को धूल चटा दी. इस लड़ाई में इजरायल ने एक तिहाई जमीन पर कब्जा कर लिया, जबकि वेस्ट बैंक पर जॉर्डन और गाजा पट्टी पर मिस्त्र का नियंत्रण हो गया.

1967 में फिर से फलस्तीन, मिस्त्र, लेबनान, सीरिया और जॉर्डन ने इजरायल पर हमला कर दिया. 6 दिन चली इस जंग में वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और पूर्वी यरूशलम इजरायल के कब्जे में चले गए. हालांकि, साल 2007 के चुनाव में हमास को जीत मिली और गाजा पट्टी के हिस्से पर उसका कब्जा हो गया, लेकिन गाजा पट्टी में हवा, समुद्र और जमीन के रास्ते आने-जाने का नियंत्रण अभी भी इजरायल के पास है. वहीं, वेस्ट बैंक का 40 फीसदी हिस्सा फलस्तीनियों के पास है, जबकि बाकी पर इजरायल का कंट्रोल है.

फलस्तीन के कितने हिस्से-

वेस्ट बैंक
वेस्ट बैंक को फतह मूवमेंट का फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) और इजरायल मिलकर चलाते हैं. 40 फीसदी हिस्से पर पीएलओ और 60 फीसदी पर इजरायल का कंट्रोल है. पीएलओ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फलस्तीन को रिप्रजेंट करता है. यह कुल 30 लाख आबादी रहती है. इसके अंतर्गत भी पूर्वी यरूशलम आता है, जिस पर इजरायल का कब्जा है. पूर्वी यरूशलम में ही अल-अक्सा परिसर है, जिसकी ईसाई, मुसलमान और यहूदियों के लिए धार्मिक रूप से काफी महत्व है. साल 1967 की वॉर में इजरायल ने पूर्वी यरूशलम और वेस्ट बैंक के हिस्से पर कंट्रोल कर लिया था. इजरायली अधिकारी वेस्ट बैंक में सिक्योरिटी की देख-रेख के लिए फलस्तीन अथॉरिटी के लिए काम करते हैं. इसका क्षेत्रफल 5,860 वर्ग किलोमीटर है और 30 लाख आबादी यहां रहती है.

गाजा पट्टी
41 किलोमीटर लंबी और 10 किलोमीटर चौड़ा गाजा पट्टी का इलाका इजरायल, भूमध्य सागर और मिस्त्र से घिरा है. इस इलाकों पर चरमपंथी समूह हमास का कंट्रोल है, लेकिन इसकी सीमाओं को इजरायल ने ब्लॉक किया हुआ है. हवा, पानी और जमीन के आने जाने पर यहां इजरायल की परमिशन की जरूरत होती है. 7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने यहीं से इजरायल पर हमला किया था. गाजा पट्टी के मुख्यरूप से पांच प्रांत हैं- उत्तरी गाजा, गाजा सिटी, दीर अल-बलाह, खान यूनिस और राफा. इसके बीचों-बीच स्थित वादी नदी इसे उत्तरी गाजा और दक्षिणी गाजा में बांटती हैं. इसके अलावा, जमीन पर इसके तीन क्रॉसिंग बॉर्डर हैं, जिनमें से दो पर इजरायल और एक पर मिस्त्र का कंट्रोल है. मिस्त्र के कब्जे वाले राफा क्रॉसिंग बॉर्डर पिछले दिनों काफी चर्चाओं में था क्योंकि गाजा पट्टी से निकलने के लिए फलस्तीनियों के पास यही एकमात्र रास्ता है. गाजा पट्टी का कुल क्षेत्रफल 365 वर्ग किलोमीटर है और 23 लाख आबादी यहां रहती है.

पूर्वी यरूशलम
ईसाइयों, मुस्लिमों और यहूदियों के लिए यरूशलम का खास धार्मिक महत्व है. अल-अक्सा परिसर भी पूर्वी यरूशलम के अंतर्गत आता है. ईसाइयों का मानना है कि अल-अक्सा परिसर में ईसा मसीह ने इबादत की थी और उनका पुनर्जन्म यरूशलम में हुआ था इसलिए उनके लिए इस क्षेत्र की काफी मान्यता है. मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद मक्का से यरूशलम आए थे और यहीं से उन्होंने जन्नत का सफर तय किया था. जहां से वह जन्नत गए वह स्थान अल-अक्सा परिसर में मौजूद है, जिसे डोम ऑफ दे रॉक के नाम से जाना जाता है. इस्लाम धर्म को मानने वालों की यह ऐसी धारणा है और इसलिए इस शहर और अल-अक्सा परिसर का उनके लिए खास महत्व है. इसके अलावा, परिसर में मौजूद डोम ऑफ द चेन और अल-अक्सा मस्जिद का भी उनके लिए काफी महत्व है.

यहूदियों का ऐसा मानना है कि राजा सोलोमन डोम ऑफ द चेन में ही बैठकर अपने फैसले सुनाया करत थे. राजा सोलोमन यहूदियों में काफी पूजनीय हैं. उनकी एक और धारणा यह है कि उनका पहला और दूसरा मंदिर टेंपल माउंट अल-अक्सा परिसर में है, जिसको बेबीलोन और रोमनों के समय तोड़ दिया गया. सेकेंड टेंपल माउंट की एक दीवार अभी भी यहां मौजूद है, जिसे वेस्ट वॉल कहा जाता है. उनका पूजनीय स्थल हॉली ऑफ द हॉलीज भी यहीं है. इन मान्यताओं के चलते तीनों धर्मों में इस शहर और अल-अक्सा परिसर का खास महत्व है. अल-अक्सा परिसर की निगरानी जॉर्डन के जिम्मे है, जबकि शहर पर इजरायल का कब्जा है. यरूशलम का पूर्वी हिस्सा 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान जॉर्डन के पास था और पश्चिमी यरूशलम पर इजरायल का कब्जा था. अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, पूर्वी यरूशलम वेस्ट बैंक का हिस्सा है, इसलिए इसे फलस्तीनी क्षेत्र माना जाता है. यहां मौजूद इजरायली बस्तियों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध मानता है.

इजरायल यरूशलम को अपनी राजधानी बताता है. इस्लामिक सहयोग संगठन के सभी 57 सदस्य और अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन और रूस आदि पूर्वी यरूशलम को फलस्तीन की राजधानी के रूप में मान्यता देते हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस और अन्य देश इसे कब्जे वाले क्षेत्र के तौर पर फलस्तीन की राजधानी बताते हैं. साल 2020 में पूर्वी यरूशलम की आबादी 595,000 लोगों की थी, जिनमें से 361,700 फलस्तीनी अरब और 234,000 इजरायली यहूदी निवासी शामिल हैं.

महमूद अब्बास फलस्तीन के राष्ट्रपति कैसे
फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में नॉन मेंबर ऑब्जर्वर स्टेट का दर्जा मिला है. वह जनरल असेंबली की डिबेट में हिस्सा ले सकता है, लेकिन वोटिंग का अधिकार उसके पास नहीं है. यूएन में फलस्तीन को फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) रिप्रजेंट करता है और फलस्तीन अथॉरिटी को यही चलाता है. 1964 में विभिन्न दलों ने मिलकर पीएलओ का गठन किया था और 1994 में इजरायल और पीएलओ के बीच ओस्लो डील हुई. दोनों देशों के बीच जारी जंग को खत्म करने के लिए यह डील हुई और इसके बाद ही फलस्तीन अथॉरिटी अस्तित्व में आया था. यासिर अराफात इसके पहले राष्ट्रपति थे और महमूद अब्बास इसके मौजूदा राष्ट्रपति हैं. फतह मूवमेंट, पॉपुलर फ्रंट फोर द लिबरेशन ऑफ फलस्तीन, डेमोक्रेटिक फ्रंट फोर द लिबरेशन ऑफ फलस्तीन और फलस्तीन पीपल्स पार्टी पीएलओ का हिस्सा हैं और यही पार्टियां वेस्ट में यहां सरकार चलाती हैं.

फलस्तीन में कौन-कौन से राजनीतिक दल
फलस्तीन के गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में अलग-अलग सरकारें हैं. वेस्ट बैंक में मुख्य रूप से पीएलओ के हिस्से फतह मूवमेंट, पॉपुलर फ्रंट फोर द लिबरेशन ऑफ फलस्तीन और फलस्तीन पीपल्स पार्टी राजनीतिक दल हैं. वहीं, गाजा पट्टी में हमास का कब्जा है और इसकी पॉलिटिकल विंग इस्लामिक रेजीसटेंस मूवमेंट की सरकार यहां चलती है. गाजा पट्टी सरकार में इस्साम अल-दाअलीस प्रधानमंत्री हैं. वैसे, हमास की कुल 13 विंग हैं, जो पॉलिटिकल, मिलिट्री और सामाजिक मुद्दों की देख-रेख करती है. इस्माइल हानियेह हमास का प्रमुख है और इसकी मिलिट्री विंग का प्रमुख मोहम्मद ज़ाईफ है. देश से बाहर बैठकर ये दोनों पूरे संगठन को चलाते हैं.

इजरायल के कब्जे वाले हिस्से में कितने फलस्तीनी
पैलेस्टीनियन सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक, वेस्ट बैंक में कुल 20 लाख फलस्तीनी रहते हैं. इसके कुछ हिस्से पर इजरायल का भी कब्जा है. लगभग इतनी संख्या में गाजा पट्टी में जॉर्डन और इजरायल फलस्तीनी रहते हैं. 2017 तक वेस्ट बैंक में 809,738 फलस्तीनी शरणार्थी के तौर पर पंजीकृत थे. गाजा में 2018 तक 1,386,455 फलस्तीनी शरणार्थी के तौर पर रजिस्टर्ड थे. साल 2018 की यरूशलम इसंटीट्यूट फॉर इजरायल स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, 1967 के बाद से यरूशलम में फलस्तीनियों की संख्या में 25 फीसद की वृद्धि हुई है. यहां की कुल आबादी का 21 फीसदी हिस्सा फलस्तीनियों का है.

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