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Disqualified Lakshadweep MP: चली गई संसद सदस्यता, हाईकोर्ट से राहत के बावजूद लोकसभा के फैसले की राह ताक रहा ये MP

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ पार्टी कानूनी लड़ाई लड़ने की ओर आगे बढ़ रही है. वहीं, इन सबके बीच लक्षद्वीप के सांसद और एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ने आरोप लगाया है कि उनकी सदस्यता बहाल करने में लोकसभा सचिवालय की ओर से देरी की जा रही है. लक्षद्वीप सांसद फैजल को हत्या की कोशिश के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी.

एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, नेता सुप्रिया सुले और मैंने लोकसभा सचिवालय को सूचना देकर लोकसभा अध्यक्ष से अपनी संसद सदस्यता खत्म किए जाने के फैसले को रद्द करने की मांग कर चुका हूं. मैंने कई बार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात भी कर चुका हूं. सेशंस कोर्ट के फैसले के बाद जितनी तेजी मेरी सदस्यता रद्द करने पर दिखाई गई थी, उतनी तेजी केरल हाईकोर्ट के मामले पर रोक लगाने के बाद सांसदी बहाल करने पर नहीं दिखाई जा रही है. उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय का फैसला मनमाना है और मेरे संवैधानिक अधिकारों का हनन है.

‘सदस्यता बहाल करने में देरी का नहीं मिल रहा जवाब’- लक्षद्वीप सांसद

लक्षद्वीप सांसद फैजल का दावा है कि मेरी सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन को वापस लेने में हो रही देरी पर न स्पीकर ओम बिरला और न ही लोकसभा सचिवालय ने अभी तक कोई कारण बताया है. उन्होंने कहा कि मैं अभी भी संसद से बाहर हूं. सदस्यता फिर से बहाल करने के फैसले में देरी चौंकाने वाली है और एक सांसद के तौर पर मेरे लिए चिंताजनक है.

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को लेकर किया गया फैसला सारी चीजें साफ कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार विपक्ष को और उसके सदस्यों को एक के बाद एक खत्म करना चाहती है. यही वजह है कि वो नहीं चाहते कि मैं लोकसबा में वापस आऊं. जब भी मैं लोकसभा सचिवालय में पता करता हूं तो अधिकारी कहते हैं कि फाइल लोकसभा स्पीकर के पास है. वे मुझे कहते हैं कि जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा, लेकिन दो महीने निकल चुके हैं.

क्या है पूरा मामला?

लक्षद्वीप सांसद मोहम्मद फैजल को इसी साल 11 जनवरी को सेशंस कोर्ट की ओर से हत्या की कोशिश के एक मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. इसके दो दिन बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर फैजल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. 18 जनवरी को चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप में उपचुनाव कराने का एलान कर दिया. हालांकि, 25 जनवरी को केरल हाईकोर्ट ने फैजल की सजा पर रोक लगा दी.

उन्होंने चुनाव आयोग के उपचुनाव कराने के नोटिफिकेशन को भी चुनौती दी थी, लेकिन यह हाईकोर्ट के फैसले चलते खारिज कर दी गई. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि वो कानून के हिसाब से फैसला लेंगे और उपचुनाव कराने का फैसला वापस ले लिया गया. केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. हालांकि, 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और सुनवाई 28 मार्च तक के लिए टाल दी.

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