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भारत के लिए Tawang आखिर क्यों है इतना खास और चीन की क्यों इस पर बुरी नजर? जानें 1962 का कनेक्शन

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर लंबे वक्त से मतभेद बना हुआ है. कई मौकों पर चीन के सैनिकों ने उकसावे की कार्रवाई करते हुए भारत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मजबूर किया है. अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग (Tawang) में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बार फिर से संघर्ष हुआ, जिसमें दोनों देशों के कई सैनिक जख्मी हुए. 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में चीन के करीब 300 सैनिकों ने फिर से घुसपैठ की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सेना के वीर जवानों ने उन्हें करारा जवाब दिया.

अरुणाचल प्रदेश का तवांग क्षेत्र भारत के लिए बेहद ही खास माना जाता है और यही वजह है कि भारतीय जवानों ने चीन (China) के करीब 300 से ज्यादा सैनिकों को पीछे खदेड़ दिया. संघर्ष की इस घटना में चीन को भारी नुकसान पहुंचा है.

भारत के लिए क्यों खास है तवांग?

भारत और चीन के बीच करीब 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है. यह बॉर्डर अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तरारखंड और सिक्किम से लगता है. अरुणाचल प्रदेश स्थित तवांग लगभग 17,000 फीट की ऊंचाई पर है. तवांग का इलाका मैकमोहन लाइन के अंदर पड़ता है और यह भारत का अहम हिस्सा है लेकिन चीन की नीयत में खोट दिखता है और वो अब मैकमोहन रेखा को मानने से इनकार करता है. यह इलाका पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत का बॉर्डर भी साझा करता है. रणनीतिक तौर पर यह इलाका भारत के लिए बेहद ही खास है. यह वही स्थान है जहां भारत का विशाल बौद्ध मठ भी है.

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