तेज गेंदबाज भले ही अपनी स्पीड से बल्लेबाज के मन में डर पैदा करते हों, लेकिन गेंद का असली मैजिशियन तो स्पिन गेंदबाजों को ही कहा जाता है। सदी की सबसे अच्छी गेंद एक स्पिनर ने ही डाली है। क्रिकेट इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले टॉप फाइव बॉलर्स में भी तीन स्पिनर्स हैं। यहां तक की IPL के इस सीजन में अभी तक सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले युजवेंद्र चहल भी स्पिन बॉलर ही हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि काश आप भी गेंद स्पिन कराना सीख सकते, तो क्रिकेट में आपके भी जलवे होते। स्पिन बॉलिंग सीखने में भले ही आपको वक्त लगे, लेकिन स्पिन बॉलिंग का साइंस जरूर कुछ मिनट में ही सीख सकते हैं। ‘साइंस ऑफ क्रिकेट’ सीरीज के इस एपिसोड में आज बॉल स्पिन होने की कहानी जानेंगे…
बॉल स्विंग कराने के लिए जरूरी चीजें
हम बॉल के स्पिन की साइंस को दो हिस्सों में समझेंगे। पहला टप्पा खाने से पहले का मूवमेंट और दूसर टप्पा खाने के बाद का मूवमेंट। इन दो मूवमेंट की वजह से ही बॉल स्पिन होती है। बॉल स्पिन का साइंस समझने के लिए इससे जुड़े कुछ टर्म जानने होंगे।
पहले समझते है कि रिवोल्यूशन क्या होता है? जब बॉल अपने एक्सिस या धुरी पर घूमती है, तो उसे रिवोल्यूशन कहते हैं। यही रिवोल्यूशन ही स्पिन है। बॉल को हवा में दो तरीके से स्पिन कराया जाता है। एक टॉप स्पिन और एक बैक स्पिन। टॉप स्पिन में बॉल आगे की ओर और बैक स्पिन में पीछे की ओर स्पिन करती है। इसका असर गेंद के टप्पा पड़ने की जगह पर होता है।
टप्पा पड़ने से पहले घूमती गेंद का साइंस
जब स्पिनर बॉल को अपने हाथ से छोड़ता है तो वो बॉल को स्पिन कराते हुए छोड़ता है। मतलब बॉल अपने एक्सिस पर घूमती हुई जाती है। घूमती हुई बॉल जब हवा में ट्रैवल कर रही होती है तो इस पर मैगनस इफेक्ट काम करता है।
अब सवाल उठता है कि ये मैगनस इफेक्ट क्या है? जब बॉल बिना घूमे आगे जाती है तो उसके अगल-बगल की हवा एक सी रहती है, लेकिन जब बॉल को घुमाकर फेंका जाता है तो अगल-बगल की हवा की स्पीड बदल जाती है। इसलिए उसके अगल-बगल का प्रेशर बदल जाता है और बॉल कम प्रेशर की तरफ जाने लगती है। यही मैग्नस इफैक्ट है। मैगनस इफेक्ट को एच.जी मैगनस के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 1853 में एक एक्सपेरिमेंट के दौरान पहली बार इस इफेक्ट को खोजा था।