पश्चिम बंगाल में बीरभूम के रामपुरहाट में घरों में आगजनी की घटना के बाद राजनीति तेज हो गई है. विपक्ष इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर हमलावर है. विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को घटनास्थल पर पहुंचा.
सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इसकी निंदा करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट ने सेंट्रल फोरेंसिक को निर्देश दिए हैं. हम एनआईए या सीबीआई जांच की मांग करते हैं. एसआईटी राज्य सरकार की एक विंग है, सीएम सरकार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. बंगाल को बचाने के लिए राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र रास्ता है.
बीजेपी के सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि यहां दहशत का माहौल है, गांव वीरान हैं. शर्मनाक है कि इस सरकार ने कई बेगुनाहों को मरने दिया. पुलिसकर्मी खड़े रहे और कुछ नहीं किया. ममता बनर्जी को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए और इस मामले को सीबीआई या एनआईए को सौंप देना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
रामपुरहाट में तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू प्रधान की हत्या के बाद कई घरों में आगजनी की घटना हुई. इसमें 8 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 2 बच्चे भी शामिल हैं. टीएमसी नेता पर सोमवार को क्रूड बम से हमला हुआ था. मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया है और केंद्र सरकार ने घटना की रिपोर्ट मांगी है. इस मामले में अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
कलकत्ता हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
इस मामले की आज कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि सच सभी के सामने जरूर आना चाहिए. अदालत ने पश्चिम बंगाल पुलिस को 24 मार्च को केस डायरी लाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही राज्य सरकार को भी निर्देश दिए गए हैं कि वो गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराए.
इसके अलावा जहां इस हिंसा को अंजाम दिया गया, वहां किसी भी चीज से छेड़छाड़ नहीं करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए उस जगह पर कैमरे लगाए जाएं.
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