ambani

इससे अच्छा रंगोत्सव और क्या?: मंदिर में फेंके फूलों से बन रहा गुलाल, …ताकि एक भी पुष्प न हो बर्बाद

होली जैसे पावन त्योहार पर पर्यावरण बचे, भगवान का आशीष भी मिले और वंचित वर्ग की महिलाओं को रोजगार भी मिले। इससे अच्छा रंगोत्सव और क्या हो सकता है? गुरुग्राम की पूनम सहरावत ने मंदिरों के फूलों को रिसाइकिल कर उसके जरिए समाज में हाशिये पर खड़ीं महिलाओं को भी जोड़ा है। साथ में पर्यावरण भी बचा रही हैं। वह अपने आरूही संगठन के माध्यम से होली पर गुलाल का निर्माण मंदिरों से फेंके जाने वाले फूलों को रिसाइकिल करके कर रही हैं, वहीं दूसरी और महिलाओं को इसका प्रशिक्षण भी दे रही हैं। वह जम्मू-कश्मीर में करीब 500 महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दे चुकी हैं

तीन साल पहले पूनम ने मंदिरों से पूजा के बाद फेंके जाने वाले फूलों को एकत्रित कर एक स्टार्टअप शुरू किया। गुरुग्राम के 20 मंदिरों से उन्होंने फूल एकत्रित कर उससे अगरबत्ती और धूप बत्ती बनानी शुरू की। फिर फूलों से दीपावली पर दीए, भगवान की प्रतिमाएं बनानी शुरू कीं। होली के मौके पर फूलों के पाउडर के साथ अरारोट, फूड कलर मिलाकर गुलाल बनाया।

पूजा के फेंक दिए जाने वाले फूलों को एकत्रित कर उसे सुखाकर पाउडर बनाया जाता है फिर उनमें मुलतानी मिट्टी मिलाकर भगवान की मूर्तियां और इसी तरह गाय के गोबर के साथ धूप बत्ती बनाई जाती है। उनके अनुसार यह केवल उद्यम ही नहीं बल्कि नदियों, जलाशयों में पूजा के फूल न डालकर उन्हें प्रदूषित होने से बचाने का भी अभियान है।

Related Articles

Back to top button