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Trivia: आखिर प्रोडक्ट्स की कीमतों के पीछे 99 या 999 क्यों लिखा जाता है?

ये दौर बाजारवाद का है। कई कंपनियां रचनात्मक विज्ञापन और अपनी अनोखी मार्केटिंग स्ट्रेटजी की मदद से ग्राहकों को लुभाने का काम करती हैं। बीते कुछ सालों में विज्ञापनों के क्षेत्र में कई अहम बदलाव देखने को मिले हैं। आज के विज्ञापन आपको केवल प्रोडक्ट के बारे में ही नहीं बताते बल्कि वो उस प्रोडक्ट की एक खास जगह आपकी मनोस्थिति में भी बनाने का काम करते हैं। आज कई बड़ी कंपनियां कंज्यूमर बिहेवियर का अध्ययन करने के लिए बड़ी मात्रा में पैसों का निवेश कर रही हैं। ऐसे में प्रोडक्ट को बेचने के लिए समय समय पर नए विज्ञापन और तरीके सामने निकलकर आते रहते हैं। ऐसे में क्या कभी आपने इस बारे में सोचा है कि आखिर प्रोडक्ट की कीमतों के पीछे ज्यादातर 99 या 999 हीं क्यों लिखा होता है? और इसका कंज्यूमर बिहेवियर पर क्या असर पड़ता है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो सामानों की कीमतों के पीछे 99 या 999 लिखे जाने के पीछे एक साइकोलॉजिकल फैक्ट छिपा हुआ है। एक थ्योरी के मुताबिक इंसान किसी नंबर को देखते वक्त लेफ्ट से राइट पढ़ता है, ताकि उसकी रेंज के बारे में पता चल सके। ऐसे में लेफ्ट की संख्या को हमारा दिमाग ज्यादा वरियता देता है बजाए राइट वाली संख्या के।

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