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श्रीलंकाई नागरिक की मॉब लिंचिंग पर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का शर्मनाक बयान, बोले- हत्याएं तो होती ही हैं

नई दिल्ली. पाकिस्तान में भीड़ द्वारा ईशनिंदा के आरोप में एक श्रीलंकाई युवक प्रियंता कुमारा दियावदाना की जघन्य हत्या कर दिए जाने पर वहां के रक्षा मंत्री परवेज खट्टक ने इसके पक्ष में हैरान कर देने वाला और गैर जिम्मेदाराना बयान दिया है. खट्टक ने कहा कि जब युवा आक्रोश में आता है तो हत्याएं तो होती ही हैं. आगे अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना को कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक ए लब्बाइक पाकिस्तान (TLP) के खिलाफ पाबंदी में ढील देने के इमरान खान सरकार के फैसले के साथ जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए.

अपने बयान में रक्षा मंत्री ने कहा, “वहां युवक और वयस्क दोनों तरह के लोग थे, जो इस्लामी आस्था से प्रभावित थे. पीड़ित ने ईशनिंदा से जुड़े हुए नारे लगाए, जिसे सुनकर वह नाराज हुए और इस तरह से प्रतिक्रिया दी. हर किसी का प्रतिक्रिया जाहिर करने का अपना तरीका होता है. उन्होंने गुस्से में आकर उनकी हत्या कर दी. इसका यह कतई मतलब नहीं है कि समाज में बिखराव हो रहा है और सब कुछ खत्म हो गया है.”

टीएलपी के करीब 118 लोग अब तक आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार
परवेज खट्टक ने यह बयान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी रिपोर्टर के पूछे गए सवाल पर दिया. रिपोर्टर दरअसल यह जानना चाहता था कि इमरान सरकार क्या टीएलपी से जुड़े हुए संगठनों पर कोई प्रभावी कार्रवाई की योजना बना रही है. सरकार का दावा है कि 13 मुख्य संदिग्धों सहित करीब 118 लोगों को अब तक आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, वहीं करीब 800 लोगों पर आतंकी गतिविधि में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि इमरान खान सरकार पर दोषियों को न्याय दिलाने को लेकर दबाव बढ़ रहा है.

ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने दियावदाना की हत्या कर दी
गौरतलब है कि टीएलपी के समर्थकों सहित 800 से अधिक लोगों की भीड़ ने पिछले शुक्रवार को लाहौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित सियालकोट जिले में एक कपड़ा कारखाने पर हमला किया और उसके महाप्रबंधक दियावदाना की हत्या कर दी तथा उनके शव को आग लगा दी. पाकिस्तान में ईशनिंदा पर मौत की सजा का प्रावधान है, ऐसे में वहां ईशनिंदा पर भीड़ का किसी को मार डालना काफी प्रचलित है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक लिंचिंग की इस भीषण घटना में दियावदाना की लगभग सभी हड्डियां टूट गई थीं और उनका शरीर 99 फीसदी तक जल चुका था.

2011 में पाकिस्तान चले गए थे दियावदाना
दियावदाना की पत्नी निलूशी दिशानायके ने कहा कि दियावदाना फैसलाबाद में एक परिधान कारखाने में मैकेनिकल इंजीनियर की नौकरी मिलने के बाद 2011 में पाकिस्तान चले गए थे. एक साल बाद, वह सियालकोट के राजको इंडस्ट्रीज में महाप्रबंधक के रूप में शामिल हो गए और कारखाने में काम करने वाले एकमात्र श्रीलंकाई नागरिक थे. दंपति के 14 और 9 साल के दो बेटे हैं और उन्होंने 2019 से अपने पिता को नहीं देखा था क्योंकि वह कोविड महामारी के कारण अपने देश की यात्रा करने में असमर्थ थे.

 

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