कृषि कानून: पंजाब के CM चन्नी का केंद्र पर हमला- सब कुछ लुटाकर अब होश आया
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान का स्वागत किया और इसे किसानों के सबसे लंबे और शांतिपूर्ण संघर्ष की जीत बताया है. चन्नी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए केंद्र सरकार से लेकर पंजाब में विपक्षी दल बीजेपी और अकाली पर भी निशाना साधा.
परिवारों को मिले मुआवजा
उन्होंने पीएम मोदी के ऐलान को देरी से लिया हुआ फैसला बताते हुए कहा कि अब सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या हुआ. उन्होंने कहा कि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसानों को बहुत कुर्बानियां देनी पड़ीं लेकिन फिर भी सरकार ने अपनी जिद के चलते इसे तब रद्द नहीं किया. अब इनके पास कोई चारा नहीं बचा है, इसलिए कानूनों को रद्द करने का फैसला लिया गया है. उन्होंने केंद्र सरकार से प्रदर्शन के दौरान राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई के साथ जान गंवाने वाले परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है.
पंजाब सीएम ने कहा कि सिर्फ कानूनों को रद्द करने से कुछ नहीं होगा. एमएसपी की गारंटी भी किसानों को मिलनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि साल 2019 में मोदी जी ने शपथ ली, उसके बाद ही किसानों के खिलाफ ये साजिश रच दी गई थी. लेकिन आज किसान संघर्ष की जीत हुई है और इसके लिए किसानों को बधाई मिलनी चाहिए.
अकाली दल पर साधा निशाना
पंजाब के विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए चन्नी ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि वह किसानों के साथ हैं लेकिन अकाली दल ने हर बार भाजपा ने कंधे पर रखकर बंदूक चलाई है. हरसिमरत कौर बादल और पूरे परिवार ने इन कानूनों की हिमायत की थी. साथ ही आम आदमी पार्टी वाले भी इन कानूनों पर आज बात कर रहे हैं जबकि सच ये है कि इनमें से एक बिल तो दिल्ली में भी लागू कर दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा. प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर एक कमेटी बनाने का भी ऐलान किया है.
केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक साल से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं. साथ ही वे फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग भी कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच इन मुद्दों पर 11 दौर की बातचीत हुई जो बेनतीजा रही थी.