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यूपी चुनाव से पहले मिट रहीं ‘दूरियां’, शिवपाल बोले- सम्मान मिला तो अखिलेश के साथ गठबंधन को तैयार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच खटास कम होती नजर आ रही है. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा है कि भाजपा को हराने के लिए हम बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के साथ अलायंस करने को तैयार हैं. अगर सम्मानपूर्वक टिकट मिला तो पार्टी का विलय भी कर सतके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पहली वरीयता सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को दी जाएगी. सामाजिक परिवर्तन यात्रा को लेकर बहराइच पहुंचे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि हम तो पिछले 2 सालों से लगातार इंतजार कर रहे हैं कि अखिलेश यादव कब उनके साथ बातचीत करेंगे.

शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को इंगित करते हुए यह भी कहा कि अगर हमारे लोगों को सम्मान पूर्वक टिकट देंगे तो हम अलायंस भी कर लेंगे और पार्टी का विलय भी कर सकते हैं. शिवपाल यादव ने बहराइच पहुंचने के बाद प्रसिद्ध मरी माता मंदिर पूजा अर्चना की इसके बाद सय्यद सालार गाजी की दरगाह पर पहुंचकर चादर चढ़ाई. शिवपाल यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है अपराधियों में कानून का तनिक भी डर नहीं है.

अखिलेश बीजेपी पर लगातार हमलावर

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को लखीमपुर खीरी मामले की जांच पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि उसके तीन इंजन कानून—व्यवस्था को ध्वस्त कर रहे हैं. अखिलेश ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि लखीमपुर मामले के आरोपियों को बचाने की कोशिश हो रही है. अदालतें पहले भी कई बार प्रदेश की कानून—व्यवस्था पर सवाल उठा चुकी है. सरकार आखिर जांच की निगरानी क्यों नहीं कराना चाह रही है. हम पहले से ही कह रहे हैं कि जब तक यहां भाजपा की सरकार है, न्याय की उम्मीद छोड़ दीजिये.’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘तीन इंजन कानून—व्यवस्था को ध्वस्त कर रहे हैं.

दिल्ली वाला इंजन, लखनऊ वाला इंजन और लखीमपुर वाला इंजन. जिनके बेटे को इस मामले (लखीमपुर मामले) में गिरफ्तार किया गया, उन गृह राज्यमंत्री (अजय मिश्रा) को अभी तक बर्खास्त नहीं किया गया.’ सपा अध्यक्ष ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) पर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि किसे फंसाना है, किसके पीछे इसे लगाना है, जांच को कहां ले जाना है, यह सब भाजपा तय करती है. आखिरकार एसआईटी की अपनी जांच कब होगी.

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