कैप्टन 4.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, इस्तीफे की घोषणा के साथ राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू की लड़ाई के बीच अब ये लगभग तय हो गया है कि कैप्टन को CM की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। कैप्टन 4.30 बजे राजभवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि वे शाम 5 बजे होने वाली विधायक दल की बैठक से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं और राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि हाईकमान का रुख देख कैप्टन के करीबियों ने भी उनसे दूरी बना ली है।
इससे पहले कैप्टन ने कांग्रेस से वरिष्ठ नेता कमलनाथ और मनीष तिवारी से बात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन ने आज ही पूरी कलह खत्म करने को कहा है। साथ ही धमकी दी है कि उन्हें इस तरह CM पद से हटाया गया तो वे पार्टी भी छोड़ देंगे। उन्होंने ये संदेश पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने के लिए भी कह दिया था।
40 विधायकों ने हाईकमान से की थी कैप्टन की शिकायत
कैप्टन से नाखुश 40 विधायकों की चिट्ठी के बाद कांग्रेस हाईकमान ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने शनिवार शाम 5 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने की घोषणा कर दी। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद शुक्रवार आधी रात को यह जानकारी शेयर की थी। विधायक दल की मीटिंग के लिए अजय माकन और हरीश चौधरी ऑब्जर्वर बनाए गए हैं और दोनों नेता चंडीगढ़ पहुंच चुके हैं।
सिद्धू गुट ने कैप्टन के कांग्रेसी होने पर ही सवाल उठाए
सियासी उठापटक के बीच पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार पूर्व DGP मुहम्मद मुस्तफा ने कहा है कि पंजाब के विधायकों के पास साढ़े चार साल बाद कांग्रेसी CM चुनने का मौका है। यानी मुस्तफा ने साफ तौर पर अमरिंदर सिंह के कांग्रेसी होने को ही नकार दिया है। मुस्तफा ने कहा कि 2017 में पंजाब ने कांग्रेस को 80 विधायक दिए। इसके बावजूद आज तक कांग्रेसी CM नहीं मिला। करीब साढ़े चार साल में कैप्टन ने पंजाब और पंजाबियत के दर्द को दिल से नहीं समझा। ऐसे में अब 80 में से 79 विधायकों के पास सम्मान पाने और जश्न मनाने का मौका आया है।
सिद्धू और कैप्टन के बीच विवाद क्या है?
पंजाब के पॉलिटिकल एनालिस्ट कहते हैं कि दोनों के बीच वैचारिक मतभेद हैं। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। दोनों के ही रिश्ते तल्ख रहे हैं। सिद्धू 2004 से 2014 तक अमृतसर से सांसद रहे। इस दौरान 2002-2007 तक अमरिंदर के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान सिद्धू उनके कटु आलोचक रहे थे।
2017 के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं और इस तरह भारी बहुमत के साथ कैप्टन CM बने। तब चर्चा चल रही थी कि सिद्धू को डिप्टी CM बनाया जा सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बजाय सिद्धू को नगरीय निकाय विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
इसके बाद भी दोनों के बीच की तल्खी दूर नहीं हुई। कभी टीवी शो में जज की भूमिका को लेकर तो कभी विभागीय फैसलों को लेकर सिद्धू मुख्यमंत्री के निशाने पर ही रहे। तब कैप्टन ने सिद्धू का विभाग भी बदल दिया। उन्हें बिजली महकमा दे दिया, जो सिद्धू ने स्वीकार नहीं किया और घर बैठ गए।
कुछ महीने पहले सिद्धू ने बेअदबी मामले को लेकर ट्वीट करना शुरू किया और कैप्टन पर बादल परिवार के सदस्यों को बचाने के आरोप लगाए। जब उन्हें कैप्टन विरोधियों का साथ मिला तो वे और सक्रिय हो गए। फिर हाईकमान ने दखल करते हुए सुनील जाखड़ को हटाकर सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
अगले साल चुनाव हैं, इसलिए विवाद खत्म करने की कोशिश होगी
नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के बाद से ही कांग्रेस में खींचतान बढ़ गई थी। खासतौर से कैप्टन के विरोधी गुट ने दूसरी बार मोर्चा खोल दिया है, जबकि अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस चाहेगी कि जल्द से जल्द इस मामले को सुलझा लिया जाए। हालांकि कैप्टन के खिलाफ बगावत का हर दांव अभी तक फेल रहा है। ऐसे में अब सिद्धू खेमा पूरा जोर लगाएगा कि आज की बैठक में ही कैप्टन को कुर्सी से हटाने का फैसला हो जाए।
बड़ा सवाल- कैप्टन हटे तो किसे मिलेगी कमान?
बागी ग्रुप अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भारी पड़ा और उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी तो पंजाब कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल ये भी होगा कि कमान किसे सौंपी जाए। हालांकि बागी ग्रुप की अगुवाई कर रहे सुखजिंदर रंधावा भी CM बनने की इच्छा रखते हैं, लेकिन ऐसा करने पर कैप्टन ग्रुप के विधायक नाराज हो जाएंगे
इसके अलावा सोशल मीडिया पर नवजोत सिद्धू को CM बनाने की मांग हो रही है, हालांकि वो पहले ही संगठन के प्रधान हैं। फिर उनको लेकर कैप्टन ग्रुप की नाराजगी भी रहेगी।
पंजाब में अभी मुख्यमंत्री और पार्टी प्रधान (सिद्धू) दोनों ही सिख चेहरे हैं। इससे हिंदू और सिखों के तालमेल का सियासी गणित गड़बड़ाया हुआ है। ऐसे में चर्चा है कि क्या किसी हिंदू चेहरे को 5 महीने के लिए CM की कुर्सी दी जा सकती है? ऐसी स्थिति में सुनील जाखड़ का नाम सामने आ रहा है।
पूर्व प्रधान लाल सिंह भी इन दिनों कैप्टन के करीबी बने हुए हैं। उधर सांसद प्रताप सिंह बाजवा भी लंबे समय से कुर्सी पाने की कोशिश कर रहे हैं। इनके अलावा राजिंदर कौर भट्ठल पर भी नजरें टिकी हैं जो पहले ही CM रह चुकी हैं।