भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका में उमड़ा आस्था का सैलाब, जगतनाथ के दर्शन के लिए सुबह से ही लग गईं थीं कतारें
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर गुजरात के समुद्र तट पर स्थित भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका में भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। द्वारकाधीश मंदिर में तड़के सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। आलम ये है कि पुलिस-प्रशासन के सारे इंतजाम धरे रह गए हैं और सड़कें भी जाम हो गईं हैं।
पिछले साल सूना रहा था मंदिर
पिछले साल कोरोना महामारी के कारण जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं के मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी थी और लोगों ने घर से ही ऑनलाइन कृष्ण जन्मोत्सव मनाया था। लेकिन इस बार प्रशासन ने जन्माष्टमी भक्तों की उपस्थिति में ही मनाने का फैसला किया है। इसी के चलते सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं थीं।
मंदिर के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग नदारद
हालांकि, राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार मास्क लगाकर ही मंदिर में प्रवेश करने दिया जा रहा है। लेकिन भक्तों की जबर्दस्त भीड़ के चलते मंदिर के बाहर सारे नियम धरे के धरे रह गए। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग बिना मास्क के नजर आए। वहीं, भीड़ के चलते मंदिर के गेट पर सोशल डिस्टेंसिंग का तो सवाल ही नहीं था।
जन्माष्टमी का कार्यक्रम
उत्सव कार्यक्रम श्रीद्वारकाधीश मंदिर के प्रशासक द्वारा जन्माष्टमी उत्सव के कार्यक्रम की घोषणा की गई है, जिसमें 30 अगस्त को श्रीजी के दर्शन का समय सुबह 6 बजे मंगला आरती, सुबह 6 बजे से 8 बजे तक मंगला दर्शन, सुबह 8 बजे श्रीजी के खुले पर्दे पर स्नान और अभिषेक, 9 बजे अभिषेक के बाद पूजन (पट/दर्शन) के दौरान मंदिर के पट एक घंटे के लिए बंद रहे। इसके बाद 10:30 बजे भगवान का श्रृंगार कर उन्हें प्रसाद का भोग लगाया गया। 11 बजे श्रृंगार आरती, 11-15 बजे ग्वाल भोज दिया गया। दोपहर 12 बजे राजभोग अर्पित किया गया। भगवान के आराम के लिए दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक मंदिर के पट बंद रहेंगे।
शाम 5 बजे उत्थापन दर्शन
शाम 5 बजे भगवान के उत्थापन दर्शन के लिए मंदिर के पट खुलेंगे। इसके बाद 5,30 से 5.45 तक उत्थापन भोग अर्पण। शाम 7.15 से 7.45 तक संध्या भोग अर्पण। रात 8.30 से 9.00 तक शयन आरती होगी और इसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। लेकिन आज जन्माष्टमी के अवसर पर रात 12 बजे महाआरती होती है। भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के पट रात 2.30 तक खुले रहते हैं। इसके बाद यानी कि 31 अगस्त को रोज की तरह दर्शन होंगे।