देश

चुनावी राज्यों में 15 अगस्त पर मुफ्त वादों की झड़ी: क्या सत्ता पाने का अचूक फॉर्मूला है ‘रेवड़ी’, जानिए कब-कब पलट गया इलेक्शन

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने 15 अगस्त के मंच से मुफ्त चुनावी वादों की झड़ी लगा दी. अकेले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 7 मुफ्त घोषणाएं की. मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 4 मुफ्त वादों का ऐलान मंच से ही कर दिया. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लोकलुभावन वादे करने में पीछे नहीं रहे.

15 अगस्त के मंच से मुफ्त वादों की घोषणा पर राजनीति भी तेज हो गई है, क्योंकि तीनों राज्यों में अब से 2 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं. जानकार मुफ्त वादों की घोषणा को चुनावी हथियार के रूप में देख रहे हैं. पिछले 8 विधानसभा चुनाव में ‘रेवड़ियों’ ने जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाई है.

मध्य प्रदेश में लंबे वक्त से बीजेपी की सरकार है और सत्ता वापसी के लिए पार्टी कई रणनीति पर एक साथ काम कर रही है. इसी तरह राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार रिवाज बदलने की कोशिशों में जुटी है. छत्तीसगढ़ में भी बघेल के सामने सरकार रिपीट की चुनौती है.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 15 अगस्त के मंच से किए गए मुफ्त वादों का चुनाव में कितना असर होगा?

बात पहले मुख्यमंत्रियों की मुफ्त घोषणाओं की….

1. गहलोत ने फ्री मोबाइल और राशन किट देने का ऐलान किया
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 15 अगस्त के मंच पर करीब 42 मिनट तक बोले. उन्होंने इस दौरान सरकार के किए कामों के बारे में बताया. इस दौरान गहलोत मुफ्त वादों की घोषणा करने से भी नहीं चूके. गहलोत का फोकस फ्री मोबाइल और नि:शुल्क राशन किट देने पर रहा.

मंच से अशोक गहलोत ने कहा, ‘महिला सशक्तिकरण और डिजिटल डिवाइड को कम करने के उद्देश्य से इन्दिरा गांधी स्मार्टफोन योजना के तहत एक करोड़ महिलाओं को स्मार्टफोन दिए जाएंगे. हमने बजट में भी इसका प्रावधान कर रखा है. अभी तक हमने 40 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन दे दिया है’.

गहलोत ने आगे कहा कि 20 अगस्त से सभी 1 करोड़ महिलाओं को गारंटी कार्ड दिया जाएगा, जिससे वे आने वाले वक्त में सरकार से स्मार्टफोन आसानी से ले सकेंगे. गहलोत ने मंच से 33 लाख लोगों को नि:शुल्क राशन किट देने की घोषणा भी की.

मुख्यमंत्री के मुताबिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ से वंचित परिवारों को मुफ्त में राशन किट दिया जाएगा. वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ ले रहे उन लोगों को भी किट मुहैया कराया जाएगा, जो जरूरतमंद हैं. गहलोत ने इसके अलावा अस्पताल पहुंचाने वालों को 10 हजार रुपए ईनाम देने की भी घोषणा की.

चुनावी साल में अशोक गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को लेकर भी बड़ा ऐलान किया. गहलोत ने कहा कि दौसा, सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर और अलवर जिले के 53 बांधों को भरा जाएगा. पहले 26 बांधों को भरने का प्रस्ताव था. मुख्यमंत्री की इस घोषणा से 13 विधानसभा क्षेत्रों के 11 लाख किसान लाभान्वित होंगे.

2. शिवराज ने लिए लगा दी मुफ्त चुनावी घोषणाओं की झड़ी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मुफ्त वादों की झड़ी लगा दी. चौहान का फोकस मध्य प्रदेस में काम कर रहे पुलिसकर्मियों और बेरोजगारों पर रहा. बेरोजगारों के लिए शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना 22 अगस्त से लांच की जा रही है. इसके जरिए युवाओं को रोजगार दिया जाएगा’.

शिवराज ने कहा कि इस योजना में युवाओं को स्टाइपेंड देने का भी प्रावधान है. मुख्यमंत्री ने एक अन्य घोषणा में कहा, ‘पुलिस विभाग में आरक्षक से लेकर उप निरीक्षक तक के कर्मचारियों को 15 लीटर पेट्रोल प्रति माह मुफ्त दिए जाएगा. उन्होंने कहा कि जो पुलिसकर्मी अपराधियों को पकड़ने के लिए अपने वाहन का पेट्रोल जलाएंगे, उसका खर्च सरकार वहन करेगी.

हाल ही में मुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग को आदेश दिया था कि सभी पुलिसकर्मियों को हफ्ते में एक दिन का अवकाश दिया जाए. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ मध्य प्रदेश के थानों में करीब 56 हजार पुलिसकर्मी तैनात हैं.

15 अगस्त के मंच से शिवराज सिंह चौहान ने शहरी क्षेत्र में भी पट्टा बांटने की घोषणा कर दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि माफियाओं से जो जमीनें मुफ्त कराई गई है, वो सभी गरीबों को दिया जाएगा.

3. भूपेश बघेल भी मुफ्त घोषणा करने में पीछे नहीं
भूपेश बघेल ने अपने भाषण के दौरान आदिवासी संस्कृति और छत्तीसगढ़िया को मुख्य फोकस पर रखा. हालांकि, मुफ्त की घोषणा करने से भी नहीं चूके. भूपेश बघेल ने कहा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों को मुफ्त में ऑनलाइन कोचिंग पढ़ने की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कहा कि बड़े संस्थानों के जरिए यह व्यवस्था की जाएगी.

बघेल ने हाईस्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के लिए मुफ्त में बस सेवा शुरू करने की बात कही. इन बसों से छात्रों को घर से स्कूल/कॉलेज और स्कूल/कॉलेज से घर ले जाया जाएगा. 60 साल पूरा कर चुके मजदूरों को 1500 रुपए मासिक पेंशन देने की भी मुख्यमंत्री ने घोषणा की.

मुफ्त वादे चुनाव पर कैसे डालते हैं असर?
ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और मशहूर समाजशास्त्री डैन एरीली ने फ्रीबीज यानी सरकार की ओर से दी जा रही मुफ्त सुविधाओं पर शोध किया है. इसके अनुसार चुनाव में मुफ्त वादे पैसों से ज्यादा भावनाओं से जुड़ा हुआ होता है, इसलिए लोगों पर यह सीधा और तुरंत असर करता है.

एरीली के मुताबिक चुनाव के दौरान मुफ्त वादे की घोषणा सुनने के बाद आम लोगों के व्यवहार और उसके पैटर्न में बड़ा बदलाव होता है. आम जनता मुफ्त वादों की घोषणा सुन किसी एक पक्ष की ओर झुक जाते हैं.

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कम मार्जिन वाले सीटों पर मुफ्त चुनावी वादे मास्टरस्ट्रोक का काम करता है. राजनीतिक दल अपने-अपने सुविधानुसार मुफ्त वादे करने से नहीं चूकना चाहते हैं.

भारत में चुनाव के दौरान मुफ्त वादों की घोषणा पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल है. जानकारों का मानना है कि जब से चुनाव में राजनीतिक दलों ने प्रोफेशनल रणनीतिकारों का सुझाव लेना शुरू किया है, तब से मुफ्त में बांटने का प्रचलन तेजी से बढ़ा है.

मुफ्त चुनावी वादों ने बदले इन राज्यों के सियासी गणित

– दक्षिण के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुफ्त चुनावी वादों ने जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. कांग्रेस के 5 गारंटी स्कीम ने सत्ताधारी बीजेपी का गेम बिगाड़ दिया. कांग्रेस की 5 गारंटी में महिलाओं को 2000 रुपए मासिक भत्ता, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, घरों में 200 यूनिट तक फ्री बिजली और मुफ्त अनाज देने की बात कही गई थी. कर्नाटक की 228 में से कांग्रेस को 135 सीटों पर जीत मिली, जबकि बीजेपी 116 से 65 पर सिमट गई.

– हिमाचल प्रदेश 2022 के चुनाव में मुफ्द वादों ने असर डाला. हिमाचल में कांग्रेस की ओल्ड पेंशन स्कीम और 5 लाख सरकारी नौकरी बीजेपी के अन्य वादों पर भारी रहा. इन दोनों घोषणाओं के अलावा कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रुपए पेंशन देने की और हर परिवार को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का भी ऐलान कर दिया. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली.

– उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 में भी मुफ्त वादों की अहम भूमिका रही. चुनाव से ऐन पहले बीजेपी ने साल में 2 गैस सिलेंडर देने का वादा किया. साथ ही कॉलेज जाने वाली लड़कियों को मुफ्त में स्कूटी देने का भी वादा पार्टी की ओर से किया गया. बीजेपी के यह दोनों फ्री वादे सपा के ओल्ड पेंशन स्कीम पर भारी पड़ गया.

– 2020 में बिहार का चुनाव कोरोना के साए में हुआ. बीजेपी ने उस वक्त मुफ्त वैक्सीन देने का वादा कर दिया. पार्टी ने कहा कि सरकार अगर रिपीट हुई तो सभी को फ्री वैक्सीन लगवाया जाएगा. चुनाव में बीजेपी नंबर-2 की पार्टी बन गई और जेडीयू के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही.

Related Articles

Back to top button