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लाहौर का शदाणी दरबार: भगवान राम के बेटे लव के वंशज से जुड़ा है इतिहास, हिंदुओं का है तीर्थस्थल

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भगवान शिव के अवतारी माने जाने वाले सतगुरू संत शादाराम साहिब का प्राचीन मंदिर है, जिसे शदाणी दरबार कहा जाता है. जिसकी हिंदुओं में बेहद मान्यता है और इस साल उनकी 314वीं जयंती मनाई जा रही है. जिसके लिए सिंध प्रांत में जयंती समारोह का आयोजित किया गया है और खास बात ये है कि पाकिस्तान की ओर से इस समारोह में शामिल होने के लिए 100 भारतीय तीर्थयात्रियों को वीजा जारी किया गया. जिसके बाद भारतीय श्रद्धालु भी इस समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान पहुंचे हैं.

राजधानी दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग की तरफ से दी गई जानकारी में बताया गया है कि 100 भारतीय तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में धार्मिक स्थल जाने के लिए वीजा जारी किया जा रहा है.ये भारतीय तीर्थयात्री 22 नवंबर से 3 दिसंबर 2022 तक सिंध प्रांत के शदाणी दरबार हयात पिताफी में शिव अवतारी सतगुरु संत शादाराम साहिब की 314वीं जयंती समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान आ सकते हैं. भारतीयों को जारी किए गए 100 पाकिस्तानी वीजा के जरिए भारतीय ना केवल शदाणी दरबार बल्कि पाकिस्तान में मौजूद अन्य तीर्थस्थलों के भी दर्शन कर सकते हैं. जैसे की सुक्कुर, ढेरकी और ननकाना साहिब जैसे पवित्र तीर्थस्थलों का भी भ्रमण किया जा सकता है.

शदानी दरबार की क्या है मान्यता ?
मंदिर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान स्थित शदाणी दरबार हिंदुओं का पवित्र मंदिर है. जिसको लेकर मान्यता है कि ये मंदिर 18वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर है. दुनियाभर के हिंदुओं में इस मंदिर को पूज्यनीय माना गया है. इस मंदिर की स्थापना 1786 में संत शादाराम साहिब ने की थी. जिन्हें भगवान राम के बेटे लव का वशंज माना जाता है. साथ ही हिंदू धर्म की पुरानी मान्यताओं के मुताबिक उन्हें भगवान शिव का अवतार भी कहा जाता है. संत शादाराम साहिब का जन्म 1708 में लाहौर में हुआ था.

कहा ये भी जाता है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित ये मंदिर 300 साल से अधिक पुराना मंदिर है. इसे दुनिया भर में सभी हिंदू भक्तों के लिए एक पवित्र मंदिर माना गया है. मंदिर की वेबसाइट में दी जानकारी के मुताबिक संत शादाराम साहिब जिन्होंने लोगों को आध्यात्मिक की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया और 20 साल की उम्र में ही अपना घर बार छोड़ कर हरिद्वार, यमुनोत्री, गंगोत्री, अमरनाथ, प्रयाग, अयोध्या, काशी और नेपाल जैसे स्थानों पर मौजूद पवित्र मंदिरों और तीर्थस्थलों के दर्शन किए.

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