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10 लाशें झूलती हुई और एक जमीन पर मिली, डायरी से खुला मौतों का ‘राज’

नई दिल्ली: देश-दुनिया में सनसनी पैदा करने वाले बुराड़ी सुसाइड केस (Burari Suicide Case) की जांच दिल्ली पुलिस ने बंद कर दी है. करीब 3 साल तक चली जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है. इस घटना में एक ही परिवार के 11 लोगों की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी. हालांकि एक डायरी ने इन मौतों का राज खोल दिया.

30 जून 2018 को एक घर से मिली थी 11 लाशें
पुलिस (Delhi Police) के मुताबिक 30 जून 2018 की रात को बुराड़ी इलाके में चुड़ावत परिवार के 11 लोगों के शव पाए गए थे. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़कर सभी शव बाहर निकाले गए. मृतकों में नारायण देवी (77) का जमीन पर मिला था. जबकि उनकी बेटी प्रतिभा (57), बेटे भावनेश (50) और ललित भाटिया (45), भावनेश की पत्नी सविता (48) और उनके तीन बच्चे मीनू (23), निधि (25) और ध्रुव (15), ललित भाटिया की पत्नी टीना (42) और उनका 15 वर्ष का बेटा शिवम, प्रतिभा की बेटी प्रियंका (33) के शव खिड़की की जाली में फंदे से लटके हुए थे. इनमें प्रियंका की जून महीने ही सगाई हुई थी और दिसंबर 2018 में उसकी शादी होनी थी.

मृतकों के बंधे थे हाथ, मुंह पर चिपकी थी टेप
पुलिस (Delhi Police) के लिए यह बेहद हैरानी वाला केस (Burari Suicide Case) था. घटनास्थल पर 11 लोगों की लाशें थीं लेकिन अंदर किसी की एंट्री के कोई निशान नहीं थे. कमरे में मृत मिले सभी लोगों के हाथ पीछे से बंधे थे. उनके मुंह में गीली रूई भरी थी और मुंह पर टेप चिपकी थी. उनके कानों में भी रुई भरी थी. पुलिस ने घर का मुआयना किया तो वहां उसे मकान की दीवार में 11 पाइपों के मुंह बाहर निकले हुए दिखे. इन सबका क्या मतलब था. क्या यह सामूहिक हत्या थी या आत्महत्या, किसी की कुछ समझ नहीं आ रहा था.

हत्या और आत्महत्या की थ्योरी के बीच आखिरकार दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने मामले की जांच शुरू की. इसी बीच पुलिस के हाथ एक ऐसी डायरी लगी, जिसने घटना से पर्दा हटाने में बड़ा सुराग दे दिया. डायरी से पता चला कि परिवार अंधविश्वासों से भरा हुआ था. परिवार के दूसरे नंबर के बेटे ललित भाटिया को लगता था कि उसके मृत पिता सपनों में आकर उससे बातें करते हैं और परिवार की मदद करते हैं.

‘पिताजी आकर सभी लोगों को बचा लेंगे’
वह ये बात बड़े आत्मविश्वास के साथ परिवार के बाकी लोगों से भी कहता था. धीरे-धीरे परिवार के सभी लोग उसकी बात पर भरोसा करने लगे. वह पिता का आशीर्वाद हासिल करने के लिए उन्हें अनुष्ठान करवाने लगा. उसने 30 जून 2018 को भी घर में ऐसे ही एक अनुष्ठान का आयोजन किया था. उसका मानना था कि पिता परिवार के लोगों का उनके प्रति समर्पण देखना चाहते हैं. इसलिए उन्हें एक खतरनाक तंत्र विद्या में शामिल होना होगा. इस तंत्र क्रिया में जब उनकी जान जाने लगेगी तो पिता की आत्मा आकर उन्हें बचा लेगी.

कोर्ट में सौंपी क्लोजर रिपोर्ट में पुलिस (Delhi Police) ने कहा कि यह घटना आत्महत्या की नहीं थी, बल्कि यह एक हादसा था जो एक अनुष्ठान करते समय घट गया. रिपोर्ट में इसमें यह भी निष्कर्ष निकाला गया था कि इस अनुष्ठान का मकसद परिवार के किसी सदस्य की जान लेने का इरादा नहीं था. यह परिवार के सभी सदस्य जानते भी थे.

घर में नहीं हुई थी किसी बाहरी की एंट्री
पुलिस (Delhi Police) ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में फोरेंसिक रिपेार्ट्स का हवाला दिया. पुलिस ने कहा कि सभी मृतकों के मोबाइल फोन घर की एक अलमारी में मिले थे. उन फोन का आखिरी बार इस्तेमाल भी परिवार के लोगों ने किया था. मृतकों की विसरा रिपोर्ट में किसी तरह का जहर दिए जाने के सबूत नहीं मिले. सीसीटीवी फुटेज से साबित हुआ कि उन 11 लोगों के अलावा घर में कोई और नहीं घुसा था. साइकोलॉजिकल अटॉप्‍सी से खुलासा हुआ कि वे शायद मरना नहीं चाहते थे और उन्‍हें लगा होगा कि ‘साधना’ के बाद वे फिर से सामान्‍य जिंदगी जिएंगे.

पुलिस (Delhi Police) को घर में एक डायरी मिली थी. हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाने पर पता चला कि यह डायरी ललित भाटिया की पत्नी टीना और भांजी प्रियंका ने लिखी थी. डायरी में ललित की ओर से दिए जा रहे निर्देश दर्ज किए गए थे. ‘डायरी के एक पेज पर लिखा था, पीपल के पेड़ की लगातार सात दिन तक पूरे मन से पूजा करनी है. अगर कोई घर आता है तो अगले दिन करना. काम के लिए गुरुवार या रविवार का दिन चुनना.’

24 जून से शुरू हुआ था अनुष्ठान
डायरी के एक पेज पर लिखा था, ‘मोक्ष (ईश्वर प्राप्ति का रास्ता) क्रिया जाल पर 9 लोगों से शुरू होगी. बेबी(प्रतिभा) को मंदिर के पास स्टूल पर खड़ा होना होगा. खाने का ऑर्डर 10 बजे किया जाएगा. मां सबको रोटियां खिलाएंगी. क्रिया रात 1 बजे होगी. मुंह में गीला कपड़ा भरना होगा. हाथ डॉक्टर टेप से बांधने होंगे और कानों में रूई डालनी होगी.सबकी आंखों पर ठीक से पटटी बंधी होनी चाहिए. रस्‍सी के साथ चुन्‍नी या साड़ी का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए. बेब्‍बे (नारायणी) खड़ी नहीं हो सकतीं इसलिए वह दूसरे कमरे में लेट सकती हैं.’

निर्देंशों के मुताबिक, परिवार ने 24 जून से अनुष्ठान शुरू कर दिया था. वह 30 जून को खत्म होना था. सभी को फंदे पर लटकने से पहले पास में एक कप पानी रखने को कहा गया था. भरोसा दिया गया था, ‘जैसे ही पानी का रंग बदल जाएगा, वह (पिताजी) हमें बचाने के लिए आ जाएंगे.’ महिलाओं और बच्चों को यह विश्वास दिलाया गया होगा कि जैसे ही वे स्टूल से कूदेंगे, कोई पकड़ लेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और थोड़ी देर में तड़प-तड़पकर सभी लोगों की जान चली गई.

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